[ad_1]
सोरोंजी। भगवान वराह की धरा पर संत तुलसीदास ने जन्म लिया। उन्होंने राम चरित मानस रच कर विश्व को महान रचना दी। जिसने राम को घर घर तक पहुंचाया। तुलसी का जन्म तीर्थनगरी के मोहल्ला योग मार्ग में हुआ था। उनके गर्भगृह के अवशेष आज भी मौजूद हैं,
संत तुलसीदास का जन्म विक्रम संवत 1568 को श्रावण शुक्ला सप्तमी दिन शुक्रवार को हुआ। उनके माता पिता हुलसी और आत्माराम शुक्ल थे। तुलसी की दादी व चाचा जीवाराम ने उनका पालन पोषण किया। तुलसी का जन्म तीर्थनगरी के मोहल्ला योग मार्ग में हुआ था। स्वयं तुलसीदास ने अपने जन्म स्थान के बारे में रामचरित मानस में लिखा है मैं पुनि निज गुरु सन सुनी कथा सो सूकरखेत, समुझी नहिं तसि बालपन तब अति रहउ अचेत। संत तुलसीदास ने इस दोहा के माध्यम से बताया कि उन्होंने सूकरखेत यानि सूकर क्षेत्र में बालपन के दौरान कथा सुनी, लेकिन बाल अवस्था के कारण समझ नहीं पाया। फिर गुरु के बार बार कहने पर जो कुछ भी मेरी समझ में आया, उसे भाषाबद्ध कर रहा हूं। देशभर से तुलसी साहित्यप्रेमी, विद्वान संत व शोध छात्र तुलसीदास के जन्म आदि के बारे में शोध करने यहां पहुंचते हैं। यहां की पावन धरा पर जन्म लेकर संत तुलसीदास स्वयं आराध्य बने और इस धरा के मान को चारों दिशाओं तक पहुंचाया।
गजेटियर्स में हैं सोरोंजी में तुलसी जन्म भूमि के पुख्ता प्रमाण
सोरोंजी। ब्रिटिश शासनकाल में लिखे गए गजेटियर्स में भी सोरों को ही स्पष्ट रूप से तुलसी जन्म भूमि लिखा गया है। 1943 में एटा के कलेक्टर मिस्टर जे एम लोवो प्रभु भी तीर्थंनगरी की यात्रा पर आए और यहां तुलसी का भव्य स्मारक व प्रतिमा स्थापित की। विभिन्न गजेटियर्स में तुलसी व सोरों के बारे में निम्नलिखित वर्णन मिलते हैं जिनसे तुलसी जन्मभूमि सोरोंजी में होने का दावा और पुख्ता हो जाता है।
– ऐसी जनश्रुति है कि अकबर के शासनकाल में तुलसीदास नाम के एक महात्मा जो सोरों, परगना अलीगंज जिला एटा के निवासी थे, यमुना किनारे उस जंगल में आए जहाँ अब राजापुर स्थित है- बांदा का गजेटियर -स्टेटिस्टिकल डिस्क्रिप्शन एंड हिस्टोरिकल एकाउंट आव दी नार्थ वेस्टर्न प्रोविंस ऑफ इंडिया, जिल्द प्रथम
सम्पादक-एडविन टी, एटकिंस
सन 1874 ई. , पृष्ठ संख्या 572-573
– अकबर के शासनकाल में तुलसीदास नामक एक भक्त ने सोरों से आकर राजापुर को बसाया, उन्होंने एक मंदिर का निर्माण कराया और बहुत से अनुयायियों को आकर्षित किया।
-इम्पीरियल गजेटियर, जिल्द 11, द्वितीय संस्करण, सम्पादक-डब्लू डब्लू हंटर, 1886 ई., पृष्ठ संख्या-386-87
– राजापुर कस्बे का नाम है, और मजगांव उस मौजे अथवा ग्राम मंडल का जिसके समीप यह स्थित है, जनश्रुति के अनुसार रामायण के प्रसिद्ध रचियता तुलसीदास जी के द्वारा बसाया गया था, जिनका निवास स्थान अभी तक सोरों दिखाया जाता है।
-इम्पीरियल गजेटियर ऑफ इंडिया, सन 1908 कलकत्ता, यूपी सेकंड प्राविंशियल सीरीज, पृष्ठ संख्या-50
– अकबर काल में तुलसी नामक महात्मा जो सोरों तहसील कासगंज जिला एटा के थे, यमुना किनारे उस जंगल में आये जहां अब राजापुर स्थित है, वो ही रामायण के रचयिता हैं।
-डिस्ट्रिक्ट गजेटियर ऑफ दी यूनाइटेड प्राविंसेज, जिल्द 21, सन 1909, पृष्ठ संख्या 285-86
तीर्थ पुरोहित व विद्वानों की बात:
– सोरों सूकरक्षेत्र में संत तुलसीदास के जन्म के अकाट्य प्रमाण हैं, यह भूमि जप तप और मोक्ष की भूमि है यहां का क्षेत्र पौराणिक काल से ही पवित्र रहा है। -पं. लवकुश निर्भय, पूर्व प्रधानाचार्य
– संत तुलसीदास का जन्म सोरों सूकरक्षेत्र में हुआ यहीं उन्होंने अपने गुरु नरसिंह से पाठशाला में बार बार रामकथा सुनी। सूकर क्षेत्र में जन्मे तुलसी ने राजापुर बसाकर अपनी साधना भूमि व कर्म भूमि बनाया। उनके जन्मस्थल पर बेवजह विवाद खड़ा करना उचित नहीं है
-पं. भारत किशोर दुबे, वरिष्ठ तीर्थ पुरोहित
[ad_2]
Source link