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सोरोंजी। वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने प्राचीन पुरालेख के डिजिटलीकरण कराए जाने की घोषणा आम बजट के दौरान की। इस घोषणा से तीर्थनगरी के पुरोहित खुश नजर आए। क्योंकि तीर्थनगरी में ऐसे तमाम प्राचीन पुरालेख मौजूद हैं। सरकार का लक्ष्य एक लाख पुरालेखों के डिजिटलीकरण का है, लेकिन तीर्थनगरी सोरोंजी में प्राचीन पुरालेखों की संख्या अधिक है जो 500 से 600 साल पुराने हैं। डिजिटलीकरण होने से इन पुरालेखों को नया जीवन मिलेगा क्योंकि तमाम प्राचीन पुरालेख संरक्षण के अभाव में नष्ट हो चुके हैं।
बोले तीर्थ पुरोहित
– शूकर क्षेत्र में तीर्थ पुरोहितों की बहियों में पुराने आलेख, राजाओं की राज मुद्राएं, राजघरानों की मुहरें सुरक्षित हैं। शूकरक्षेत्र के अंदर तमाम शिलालेख मौजूद हैं, सरकार के इस निर्णय से शूकर क्षेत्र के प्राचीन पुरालेख हमेशा के लिए सुरक्षित हो जाएंगे
– डॉ. राधाकृष्ण दीक्षित, प्रोफेसर
– शूकरक्षेत्र में तमाम जयपुर, भरतपुर, धौलपुर, उदयपुर, ग्वालियर आदि राजघराने गंगा स्नान के लिए आते रहे हैं। दूसरे देशों से अंग्रेज, मुगलों के भी यहां आने के उल्लेख तीर्थ पुरोहितों की बहियों में मौजूद हैं, वित्तमंत्री की इस घोषणा से इन पुरालेखों के डिजीटलीकरण की उम्मीद बंधी है। – पंडित भारत किशोर दुबे, वरिष्ठ तीर्थ पुरोहित
– शूूकरक्षेत्र में तमाम पौराणिक पुरातात्विक धरोहरों का खजाना बिखरा पड़ा है, हाल में जिलाधिकारी ने तीर्थंनगरी में इधर उधर पड़े अनेक पुरातात्विक महत्व के प्राचीन शिलालेख इकठ्ठा कराके कलेक्ट्रेट में रखवाए हैं। तीर्थंनगरी में अनेक पुरातात्विक महत्व के सैकड़ों वर्ष प्राचीन लेख यहां के साहित्यकारों व पुरोहितों के पास मौजूद हैं, उनका डिजिटलीकरण होने से उनका जीवन बढ़ जाएगा-डॉ. सुरेंद्र अग्रवाल, प्राचार्य
– तीर्थंनगरी में आदि शंकराचार्य,गुरु नानक देव, चैतन्य महाप्रभु, स्वामी दयानंद सरस्वती,महात्मा बुद्ध, बल्लभाचार्य, विट्ठलनाथ, मोरारी बापू आदि महान विभूतियों के प्राचीन काल में सूकर क्षेत्र में आने के उल्लेख हैं। जिनसे संबंधित संदेश यहां संरक्षित हैं, इन संदेशों के डिजिटलीकरण किए जाने की आवश्यकता है।
महंत जगदीश पुरी
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