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जन औषधि केंद्र, आगरा
– फोटो : अमर उजाला
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उत्तर प्रदेश के आगरा में जेनेरिक दवाएं लिखने के लिए मुख्यमंत्री के भले ही सख्त आदेश हों, लेकिन अधिकांश चिकित्सक इन दवाओं को लिखने से बच रहे हैं। हालत यह है कि कोरोना महामारी की दूसरी लहर के बाद जन औषधि केंद्रों पर डॉक्टरों के पर्चों में कमी आई है।
प्रधानमंत्री जन औषधि केंद्र के परियोजना निदेशक रविंद्र सिंह ने बताया कि एसएन मेडिकल कॉलेज, जिला अस्पताल, लेडी लायल, मानसिक स्वास्थ्य केंद्र में चल रहे औषधि केंद्रों पर चिकित्सकों के रोजाना 500-550 पर्चे आ रहे हैं, जबकि यहां रोजाना 6000 से अधिक मरीज आ रहे हैं। कोरोना महामारी की दूसरी लहर के बाद इन केंद्रों पर रोजाना 800-900 पर्चे आते थे। इनकी संख्या लगातार कम हो रही है।
बाजार से 80 फीसदी तक कम है कीमत
इसके अलावा बाह, फतेहाबाद, पिनाहट, बरौली अहीर, अछनेरा और शमसाबाद सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों पर 15-20 दिन पहले जन औषधि केंद्र खोले गए हैं। इन पर औसतन 10-15 डॉक्टरों के ही पर्चे आ रहे हैं। जन औषधि केंद्रों पर 350 से अधिक तरह की दवाएं हैं, जिनकी कीमत बाजार से 80 फीसदी तक कम है।
डॉक्टर साहब ने बाजार की दवाएं लिख दीं
यमुना ब्रिज निवासी सर्वेश देवी ने बताया कि हाथ में चोट लग गई थी, सरकारी अस्पताल में दिखाया तो यहां डॉक्टर साहब ने बाजार की दवाएं लिख दीं। ये मेडिकल स्टोर वाले ब्रांडेड बताते हुए महंगी बताईं।,
रुनकता निवासी दिनेश चंद ने बताया कि बच्चे के तकलीफ है। अस्पताल में अधिकांश प्राइवेट मेडिकल स्टोर से दवाएं लिखते हैं। जेनेरिक दवाएं सस्ती होती हैं, लेकिन स्टाफ कहता है कि ये कारगर नहीं।
हर महीने की जाएगी समीक्षा
सीएमओ डॉ. अरुण श्रीवास्तव ने बताया कि अस्पतालों में जन औषधि केंद्र बने हैं और इनमें भरपूर दवाएं हैं। अस्पताल अधीक्षकों को पत्र लिखेंगे, जिसमें ओपीडी में जो दवाएं उपलब्ध नहीं हो, वो जेनेरिक लिखी जाएं। हर महीने इनकी समीक्षा भी की जाएगी।
मरीजों को लाभ मिले इसके लिए करेंगे बैठक
आईएमए अध्यक्ष डॉ. ओपी यादव ने कहा कि जेनेरिक दवाएं सस्ती हैं, गरीब मरीजों को लाभ मिले, इसके लिए आईएमए की बैठक करेंगे। इसमें जेनेरिक दवाएं लिखने के लिए प्रस्ताव पारित करेंगे।
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