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मैनपुरी।
जिले में महकने वाला बासमती चावल अब सात समंदर पार भी मैनपुरी के नाम से ही महकेगा। जीआई (ज्योग्राफिकल इंडिकेशन) टैग मिलने के बाद अब इसकी पहचान नहीं बदली जा सकेगी। इससे एक ओर जहां बासमती का व्यापार बढ़ेगा तो वहीं दूसरी और राइस मिलों और किसानों को भी बढ़ावा मिलेगा।
उत्तर प्रदेश के 30 जिलों में उगाए जाने वाले बासमती चावल को जीआई टैग के माध्यम से पहचान देने का निर्णय लिया गया है। इसमें मैनपुरी का बासमती चावल भी शामिल है। ऐसे में अब मैनपुरी में उगाए जाने वाला बासमती चावल विश्व में मैनुपरी की पहचान के साथ ही महकेगा। मैनपुरी का कृषि योग्य क्षेत्रफल तीन तरफ से नदी और नहरों से घिरा है। ऐसे में यहां पानी की पर्याप्त उपलब्धता है। इसके कारण ही दशकों से यहां धान की खेती को ही प्राथमिकता दी जाती है। इसी के चलते दशकों से बासमती धान मैनपुरी की पहचान है। यही कारण है कि मैनपुरी में उद्योग के रूप में केवल राइस मिल ही स्थापित हो सके। वर्तमान में मैनपुरी दो दर्जन से अधिक राइस मिल संचालित हैं। ये राइस मिल धान से चावल बनाकर उसका कारोबार करते हैं। दो दशक पहले तक राइस मिल की संख्या सौ से अधिक थी, लेकिन धीरे-धीरे चावल के निर्यात पर लगी पाबंदियों के कारण राइस मिल बंद होते गए।
लेकिन एक बार फिर अब मैनपुरी के बासमती चावल को जीआई टैग मिलने से राइस मिलों को भी बढ़ावा मिलेगा। वहीं दूसरी तरफ किसानों को भी इससे लाभ होगा। बेहतर गुणवत्ता का बासमती उगाकर किसान भी अधिक मुनाफा कमा सकेंगे। उत्तर प्रदेश में चावल उत्पादन के मामले में अगर बात करें तो मैनपुरी मध्यम श्रेणी के जिलों में शामिल है।
जिले से सालाना लगभग पांच सौ करोड़ रुपये का चावल निर्यात किया जाता है। मुख्य रूप से अरब देशों में ये निर्यात होता है। लेकिन मैनपुरी के मिलर्स सीधे निर्यात न करके दिल्ली और गाजियाबाद की कंपनियों के माध्यम से बासमती चावल का निर्यात करते हैं। इससे मैनपुरी में पैदा किए बासमती चावल को पहचान नहीं मिल पा रही थी। लेकिन अब जीआई टैग मिलने से अप्रत्यक्ष रूप से होने वाले निर्यात में भी मैनपुरी की पहचान गुम नहीं होगी।
जिले में बड़े पैमाने पर धान की खेती की जाती है। लगभग 65 हजार हेक्टेयर क्षेत्रफल में किसान धान उगाते हैं। इससे उत्पादन भी बंपर होता है। लगभग सवा तीन लाख मीट्रिक टन धान के उत्पादन के साथ सवा दो लाख मीट्रिक टन चावल का उत्पादन होता है।
-बासमती चावल को जीआई टैग मिलने से मैनपुरी में उगाए गए चावल और मैनपुरी दोनों ही एक बेहतर पहचान मिलेगी। इससे बासमती चावल के कारोबार में भी सुधार होगा। साथ ही किसानों को भी फायदा होगा। -सुनील अग्रवाल, संचालक संतलाल इंडस्ट्रीज।
मैनपुरी के बासमती की पहले से ही अपनी अलग पहचान रही है। लेकिन अब जीआई टैग मिलने से मैनपुरी के बासमती की ये पहचान और मजबूत हो गई है। इससे मैनपुरी के बासमती की कीमतों में भी सुधार होगा।
-दीपक अग्निहोत्री, संचालक दीपक एग्रो प्राइवेट लिमिटेड।
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