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कासगंज में एक दुकान पर तैयार की गई सोहनपपडी ।
– फोटो : KASGANJ
कासगंज। शहर की सोहनपापड़ी की महक देश के दूर-दूर के इलाकों तक ही नहीं हैं। बल्कि फिल्मी परदे पर भी कासगंज की मशहूर सोहनपापड़ी का नाम लिया जाता है। यह नाम फिल्म ‘हम साथ साथ हैं’ में लिया गया । 80 साल से जिले के इस उत्पाद का स्वाद लोगों को जमकर भाता है। तभी तो जो कासगंज की सोहनपपड़ी के बारे में जानता है वह इसे जरूर लेकर जाता है।लेकिन इस सोहनपपड़ी को जीआई टैग नहीं मिला है। यदि इसे जीआई टैग मिल जाए तो इसकी प्रसिद्धी में इजाफा होगा। मिष्ठान विक्रेताओं को जीआई टैग मिलने का इंतजार है।
जिले में हर मिठाई विक्रेता की दुकान पर सोहनपापड़ी बनाई जाती है। शुद्ध देसी घी, वेजीटेबिल ऑयल एवं रिफाइंड से भी यह तैयार की जाती है। बेसन, मैदा, चीनी, घी आदि के प्रयोग से एक विशेष प्रक्रिया के साथ इसे तैयार किया जाता है। यह ऐसी मिठाई जो बहुत जल्दी खराब नहीं होती। शहर के प्रसिद्ध मिठाई विक्रेता पंकज खटौड़ बताते हैं कि उनके यहां तीन पीढ़ी पहले से यह मिठाई बनाई जा रही है।इस मिठाई की विशेषता है कि यह मिठाई कई परतों में होती है और मुंह में घुल जाती है। प्रोटीन का यह अच्छा श्रोत है। उनका मानना है कि मिठाई की हर दुकान पर यह बनाई जाती है और इसकी बिक्री भी ज्यादा होती है। वहीं बाहर भेजने के लिए यह अच्छी मानी जाती है। सोहनपपड़ी रोल भी ड्राई फ्रूट के साथ बनाई जाती है।
जिले में करीब 200 से अधिक स्थानों पर यह मिठाई बनाई जाती है। खाद्य सुरक्षा विभाग के अभिहित अधिकारी नादिर अली बताते हैं कि सोहनपापड़ी दो वर्जन हैं। एक तो बेसन, मैदा से बनाई जाती है। जबकि ग्रामीण इलाकों में मैदा से तैयार की जाती है। जिसे पतीशा भी कहा जाता है।
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