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कासगंज। जिले में ब्लड कंपोनेंट यूनिट को चालू करने के लिए शासन से 6 मशीनों को तो उपलब्ध करा दिया गया, लेकिन यूनिट चालू करने के लिए अभी तक लाइसेंस जारी नहीं किया गया है। मशीनों के चालू न हो पाने से जरूरतमंद मरीजों को काफी दिक्कतें हो रही हैं। इस समय डेंगू का खतरा बढ़ रहा है। यूनिट चालू न हो पाना कभी भी ऐसे मरीजों के लिए मुसीबत खड़ी कर सकता है।
जिला अस्पताल में अभी तक ब्लड बैंक की ही सुविधा है। इसमें ब्लड बैंक में जमा होने वाले रक्त की एक यूनिट एक ही व्यक्ति के काम आ सकती है। ब्लड से प्लेटलेट्स, प्लाज्मा, पीआरबीसी, व क्रॉयोप्रेसीपिटेट कंपोनेंट को अलग करके प्रयोग में लाने के लिए शासन से जिला अस्पताल में इस यूनिट की स्थापना को मंजूरी दी गई। जिला अस्पताल पर संचालित होने वाली ब्लड बैंक के समीप ही इस यूनिट को स्थापित करने के लिए स्वास्थ्य विभाग की ओर से जगह चिह्नित की गई। इसके लिए शासन से 26 लाख रुपये का बजट स्वीकृत कर अवमुक्त किया गया। दिसंबर तक इस कार्य को पूरा करने के निर्देश शासन से दिए गए हैं। विभाग ने इस यूनिट को संचालित करने के लिए 3 माह पहले भवन तैयार कराने के साथ ही बिजली फिटिंग का कार्य भी पूरा करा लिया है। मार्च माह के पहले सप्ताह में मशीनें भी आ गईं। जिले को पांच छोटी व एक बढ़ी मशीन उपलब्ध कराई गई है, लेकिन यूनिट अभी चालू नहीं हो सकी है, जिससे मरीजों को कोई लाभ नहीं मिल रहा है।
कंपोनेंट की इन रोगियों को होती है जरूरत
सामान्य खून की कमी वाले मरीजों को पीआरबीसी, जलने के कारण गंभीर हुए मरीजों व कोरोना के मरीजों को प्लाज्मा चढ़ाने की जरूरत होती है। जबकि डेंगू व अन्य संक्रमण वाले मरीज को प्लेटलेट्स चढ़ाकर बचाया जा सकता है। वहीं क्रॉयोप्रेसीपिटेट का उपयोग हीमोफीलिया या वॉन विलेब्रांड रोग के कारण रक्तस्राव के इलाज के लिए किया जाता है।
जिले के लिए छह मशीनें मिली हैं, लेकिन अभी यूनिट शुरू करने के लिए शासन से लाइसेंस नहीं मिल सका है। लाइसेंस के लिए आवेदन किया जा चुका है। लाइसेंस मिलते ही यूनिट को चालू किया जाएगा। डाॅ. संजीव कुमार, सीएमएस
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