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मैनपुरी। लाखों रुपये की लागत से जिला अस्पताल परिसर स्थापित बर्न यूनिट जले हुए मरीजों के जख्मों पर मरहम लगाने में नाकाम है। कारण एक साल पहले पर्यटन मंत्री ने यूनिट का शुभारंभ तो करा दिया। लेकिन इस अंतराल में यूनिट के लिए न तो डॉक्टर मिले सके और न ही जरूरी मशीनें उपलब्ध कराई जा सकी। ऐसे में यहां आने वाले समान्य मरीजों को भी परेशानी उठानी पड़ती है। बर्न केस को प्राथमिक उपचार के बाद रेफर कर दिया जाता है। महाराजा तेज सिंह जिला अस्पताल में वर्ष 2018 में 237.88 लाख की लागत से बर्न यूनिट एवं प्लास्टिक सर्जरी केंद्र की स्थापना कराई गई। वर्ष 2022 में विधान सभा चुनाव के दौरान कैबिनेट मंत्री जयवीर सिंह ने इसका उद्घाटन भी कर दिया, लेकिन आज तक इस यूनिट का लाभ कोई मरीज नहीं उठा सका। यहां भर्ती होने वाले मरीजों को उचित उपचार नहीं मिल पा रहा है। यहां की व्यवस्थाओं पर यदि ध्यान दिया जाए तो डॉक्टर के नाम पर किसी की तैनाती नहीं है। एक सिस्टर इंचार्ज और कर्मचारी तो यहां रहते हैं। लेकिन डॉक्टर के न होने के कारण लोग अपने मरीज को यहां भर्ती करने के साथ ही रेफर कराकर ले जाते हैं। डॉक्टर की व्यवस्था न होने के कारण लोग अपने मरीज को मेडिकल कॉलेज सैफई व आगरा के निजी अस्पतालों में उपचार कराने को मजबूर हैं।
तीन दिन में पांच मरीज करा ले गए छुट्टी
जिला अस्पताल के बर्न यूनिट की बात करें तो पिछले तीन दिन में यहां पांच मरीज पहंचे। डॉक्टर की तैनाती न होने के कारण तीमारदार अपने मरीजों को यहां से रेफर करा ले गए। रविवार को यहां एक भी मरीज नहीं भर्ती था। यहां उचित सुविधा न मिलने के कारण मरीज भर्ती होने को तैयार नहीं हैं।
सामान्य मरीजों को भी नहीं देखने पहुंचते डॉक्टर बर्न यूनिट की बात करें तो यह जिला अस्पताल से करीब 500 मीटर दूरी पर स्थित है। यहां भर्ती होने वाले मरीजों को उपचार के लिए जिला अस्पताल की इमरजेंसी से ही डॉक्टर आते हैं। इसमें समय लगता है। इसके चलते लोग यहां अपने मरीज को भर्ती कराने को राजी नहीं हैं।
बर्न यूनिट के लिए डॉक्टर और व्यवस्थाओं के लिए पहले कई बार पत्र लिखे जा चुके हैं। जैसे ही डॉक्टर की व्यवस्था होती है यहां बर्न यूनिट के साथ प्लास्टिक सर्जरी का कार्य शुरू करा दिया जाएगा। फिलहाल जिला अस्पताल के डॉक्टर की निगरानी में ही मरीज यहां भर्ती होते हैं।-डॉ. मदनलाल, सीएमएस
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