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कासगंज। जिले के लिए मंजूर किए गए 3 नए बिजली उपकेंद्रों के निर्माण के लिए जमीन की तलाश अभी पूरी नहीं हो सकी है। जमीन न मिल पाने से अभी तक निर्माण कार्य शुरू नहीं हो सका है। इन उपकेंद्रों के निर्माण पर 98 लाख रुपये का खर्च आएगा। उपकेंद्रों के बनने के बाद 3 लाख आबादी को बिजली की समस्या से राहत मिलेगी, लेकिन पांच माह बाद भी निर्माण प्रक्रिया शुरू न हो पाने से गर्मी के मौसम में लोगों को बिजली संकट का सामना करना पड़ रहा है।
जिले में वतर्मान में लगभग 2.25 लाख बिजली उपभोक्ता हैं। इन उपभोक्ताओं को बिजली की सप्लाई करने के लिए निगम ने 33/11 केवीए क्षमता के 24 उपकेंद्र बना रखे हैं। इन उपकेंद्रों में बने फीडरों से शहर एवं देहात क्षेत्रों में बिजली की सप्लाई दी जाती है। कनेक्शनों के लोड के चलते ये उपकेंद्र कम पड़ते हैं, जिससे जिले में बिजली की समस्या बनी रहती है। ओवरलोड की वजह से बिजली उपभोक्ताओं को पर्याप्त आपूर्ति नहीं मिल पाती है, जिससे उपभोक्ता परेशान रहते हैं। उपभोक्ताओं को बिजली संकट से सबसे अधिक समस्या गर्मी या ठंड के मौसम में उठानी पड़ती है।
उपभोक्ताओं को बेहतर आपूर्ति देने के लिए जिले में 33/11 केवीए क्षमता के पांच नए उपकेंद्र बनाने के प्रस्ताव शासन को भेजे गए। शासन ने कलेक्ट्रेट, बजीरपुर, भैंसोरो में उपकेंद्र के प्रस्ताव को अपनी मंजूरी दे दी, जबकि भरगैन एवं क्यामपुर में उपकेंद्र के निर्माण को शासन से मंजूरी नहीं दी गई। तीन उपकेंद्रों को मंजूरी मिलने के बाद विभाग की ओर से जमीन की तलाश कराई गई। कलेक्ट्रेट व भैंसोरा में उपकेंद्र के लिए जमीन तो चिह्नित कर ली गई, लेकिन बजीरपुर में अभी जमीन चिह्नित नहीं हो सकी है। वहीं जो जमीन चिह्नित हो गई है उनका अभी अधिग्रहण की प्रक्रिया भी नहीं हो सकी है, जिससे अभी तक उपकेंद्रों के निर्माण की प्रक्रिया आगे नहीं बढ़ पा रही।
फैक्ट फाइल
वर्तमान में बिजली उपकेंद्र 24
शहरी उपभोक्ता 67 हजार
ग्रामीण उपभोक्ता 1.58 लाख
नलकूप उपभोक्ता 7.5 हजार
शासन को पांच उपकेंद्रों के प्रस्ताव भेजे गए हैं, जिसमें से तीन को मंजूरी मिली है। इनमें से दो की जगह चिह्नित हो गई है। अभी एक उपकेंद्र की जगह चिह्नित नहीं हो सकी है। जो जगह चिह्नित हुई हैं वे विभाग को अलाट नहीं हुई है, जिससे निर्माण की प्रक्रिया आगे नहीं बढ़ पा रही है। – सुरेश चंद्र रावत, अधीक्षण अभियंता
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