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– फोटो : न्यूज डेस्क, अमर उजाला, आगरा
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उत्तर प्रदेश के आगरा में कार चोरी होने के तीन माह बाद पुलिस ने बरामद कर ली। वाहन स्वामी का चेहरा खुशी से खिल उठा। कार की सीट, कवर और अन्य सामान से पहचान भी कर ली गई। पुलिस ने न्यायालय से कार को वाहन स्वामी के हवाले कर दिया। चोरी के बाद कार मिलने की खुशी कुछ दिन रही। वाहन स्वामी ने कार का बोनट खोलकर देखा तो इंजन और चेसिस नंबर बदला हुआ मिला। संभागीय परिवहन विभाग में संपर्क किया तो कोई भी सहायता करने से मना कर दिया गया।
यह घटना बोदला निवासी प्रेमवीर सिंह के साथ हुई है। उनकी कार दिल्ली से चोरी हो गई थी। तीन माह बाद द्वारका दिल्ली से कार पुलिस ने खोज ली। वाहन स्वामी को पहचान के लिए बुलाया गया। सीट, कवर और अन्य सामान को देखकर मालिक ने कार पहचान ली। इसके बाद पुलिस ने न्यायालय के माध्यम से कार स्वामी को सौंप दी।
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अब यहां से कहानी मोड़ लेती है। कार स्वामी खुशी के साथ आगरा आ जाता है। यहां पर कार का इंजन की जांच कराने पर जानकारी मिली कि इंजन बदल दिया गया है। चेसिस नंबर भी दूसरे लगा दिया गया है। चोरों की यह कारस्तानी देख कार स्वामी ने अपना माथा पकड़ लिया।
संभागीय परिवहन विभाग में कार के कागज लेकर प्राविधिक निरीक्षक (प्रशासन) उमेश कटियार के पास आया। उन्होंने बताया कि बिना इंजन और चेसिस नंबर के कार का रिकार्ड नहीं माना जा सकता है क्योंकि रजिस्ट्रेशन पर इन नंबर से कार की पहचान होती है।
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दो पहिया वाहनों के अधिक मामले आ रहे
चार पहिया से अधिक दो पहिया के इंजन और चेसिस नंबर बदलने के मामले अधिक आ रहे है। चोर वाहन चोरी के बाद सबसे पहले चेसिस नंबर बदल देते है। उसके बाद इंजन बदल दिया जाता है। इससे वाहन की पहचान करना मुश्किल हो जाता है।
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संभागीय परिवहन विभाग कार्यालय में पिछले पांच माह में एक दर्जन मामले इंजन और चेसिस बदलने के आ चुके है। आरआई उमेश कटियार बताते है कि इस स्थिति में वाहन का इंश्योरेंस कंपनी से क्लेम लेना मालिक के पक्ष में है। ऐसा वाहन न बेचा जा सकता है और चेकिंग में पकड़े जाने पर दिक्कत खड़ी हो सकती है।
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