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करहल। निकाय के चुनावी रण में करहल नगर पंचायत क्षेत्र में एक ओर मतदाताओं ने वोट की चोट की। वहीं दूसरी ओर समर्थकों ने हिंसा। 2006 के चुनाव में जमकर लाठी डंडे चले। आज भी मतदाता इसे भुला नहीं सके हैं। पूर्व की घटनाओं से प्रशासन ने भी सबक लिया। अब हर चुनाव में सुरक्षा चाक चौबंद रहती है। वर्ष 2006 के निकाय चुनाव में करहल नगर पंचायत अध्यक्ष सीट अनारक्षित थी। पर्चों की जांच व नाम वापसी के बाद अध्यक्ष पद के लिए कुल पांच प्रत्याशी चुनावी रण में थे। मुकाबला सपा, कांग्रेस और निर्दलीय प्रत्याशी के बीच था। सभी प्रत्याशी चुनाव प्रचार में जुटे थे। इस बीच समर्थकों द्वारा एक-दूसरे के पोस्टर और बैनर फाड़े जाने लगे। समर्थकों के बीच तनातनी कितनी बढ़ी की वह आमने सामने आ गए। पुलिस ने उस समय तो स्थिति को संभाल लिया, लेकिन मतदान के दिन स्थिति बेकाबू हो गई।
मोहल्ला जाटवान निवासी कमलेश कुमार बताते हैं कि मतदान में धांधली व फर्जी वोटिंग के आरोप लगाकर प्रत्याशी समर्थक आपस में भिड़ गए। सपा और कांग्रेस प्रत्याशी के समर्थकों के बीच हिंसक झड़प हुई। उपद्रवियों ने एक निर्वाचन अधिकारी की जीप फूंक दी। पीठासीन अफसर, सहायक मतदान कर्मी को पीट दिया। अतिरिक्त पुलिस फोर्स पहुंचने के बाद स्थिति नियंत्रण में हो सकी। गड़बड़ी की शिकायत पर कुछ बूथों पर निर्वाचन अधिकारी को पुनर्मतदान का आदेश देना पड़ा। दूसरे दिन कड़ी सुरक्षा में पुनर्मतदान हुआ। इस चुनाव में सपा प्रत्याशी वीके शर्मा को जीत मिली।
प्रतिष्ठा की लड़ाई में हुई हिंसा
वर्ष 1988 में हुए निकाय चुनाव में भी जमकर हिंसा हुई। चुनाव मैदान में दो प्रमुख चिकित्सक थे। इस चुनाव में भी जमकर हिंसा हुई थी। मोहल्ला जाटवान, सदर बाजार सहित कई बूथों पर दोनों प्रत्याशियों के बीच जमकर झड़पें हुईं।
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