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अमापुर। क्षेत्र के ग्रामीण इलाकों में मजदूरों को मनरेगा योजना का लाभ नहीं मिल पा रहा है। एक महीने से मजदूरों को मजदूरी तक नहीं मिली है। तमाम मजदूर काम न मिलने पर दूसरे प्रांतों में मजदूरी करने के लिए पलायन करने को मजबूर हो रहे हैं।
महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोजगार योजना के तहत मजदूरों को 100 दिन की मजदूरी की गारंटी है। ताकि ग्रामीणों को मजदूरी के लिए। गांव से बाहर नहीं जाना पड़े, लेकिन मजदूरों को पहले तो काम ही नहीं मिलता। यदि काम मिल भी जाए तो उनको समय से मजदूरी नहीं मिल पाती। जिससे मजदूर परेशान रहते हैं। रोजगार सेवक व ग्राम प्रधान अपने चहेतों को ही मजदूरी देते हैं। तमाम मजदूर गांव में रोजगार नहीं मिलने के कारण देश के अन्य प्रांतों जैसे महाराष्ट्र, गुजरात, दिल्ली, पंजाब, हरियाणा जैसे प्रदेशों में मजदूरी कर अपने परिवार का पालन पोषण कर रहे हैं। ग्रामीण महिलाओं को न के बराबर मजदूरी मिल पा रही है।
कई बार मनरेगा का जॉब कार्ड बनवाने के लिए अधिकारियों से गुहार लगा चुके हैं, लेकिन हमारे बेटे जॉब कार्ड नहीं बनने के कारण महाराष्ट्र में मजदूरी कर रहे हैं। वहीं, क्षेत्र के कई मजूदर दिल्ली, पंजाब, हरियाणा में कार्य कर रहे हैं। तालेवर वर्मा, निवासी बरसोडा
एक माह पूर्व गांव में चकरोड पर काम किया था। इसके बाद काम नहीं मिला। एक माह बीत जाने पर भी अभी तक खाते में मजदूरी नहीं आई है। ऐसी स्थिति में घर चलाना मुश्किल हो गया है। कई बार मांग की जा चुकी है, लेकिन समस्या का निदान नहीं हुआ।- प्रेमवीर निवासी, नादरमई
मजदूरों को योजना के तहत समय से मजदूरी दी जाती है। सीधे खाते में मजदूरी भेजे जाने का प्रावधान है। प्रदेश में मजदूरों के खाते में एक साथ मजदूरी भेजी जाती है।-सचिन कुमार, सीडीओ
अमापुर। क्षेत्र के ग्रामीण इलाकों में मजदूरों को मनरेगा योजना का लाभ नहीं मिल पा रहा है। एक महीने से मजदूरों को मजदूरी तक नहीं मिली है। तमाम मजदूर काम न मिलने पर दूसरे प्रांतों में मजदूरी करने के लिए पलायन करने को मजबूर हो रहे हैं।
महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोजगार योजना के तहत मजदूरों को 100 दिन की मजदूरी की गारंटी है। ताकि ग्रामीणों को मजदूरी के लिए। गांव से बाहर नहीं जाना पड़े, लेकिन मजदूरों को पहले तो काम ही नहीं मिलता। यदि काम मिल भी जाए तो उनको समय से मजदूरी नहीं मिल पाती। जिससे मजदूर परेशान रहते हैं। रोजगार सेवक व ग्राम प्रधान अपने चहेतों को ही मजदूरी देते हैं। तमाम मजदूर गांव में रोजगार नहीं मिलने के कारण देश के अन्य प्रांतों जैसे महाराष्ट्र, गुजरात, दिल्ली, पंजाब, हरियाणा जैसे प्रदेशों में मजदूरी कर अपने परिवार का पालन पोषण कर रहे हैं। ग्रामीण महिलाओं को न के बराबर मजदूरी मिल पा रही है।
कई बार मनरेगा का जॉब कार्ड बनवाने के लिए अधिकारियों से गुहार लगा चुके हैं, लेकिन हमारे बेटे जॉब कार्ड नहीं बनने के कारण महाराष्ट्र में मजदूरी कर रहे हैं। वहीं, क्षेत्र के कई मजूदर दिल्ली, पंजाब, हरियाणा में कार्य कर रहे हैं। तालेवर वर्मा, निवासी बरसोडा
एक माह पूर्व गांव में चकरोड पर काम किया था। इसके बाद काम नहीं मिला। एक माह बीत जाने पर भी अभी तक खाते में मजदूरी नहीं आई है। ऐसी स्थिति में घर चलाना मुश्किल हो गया है। कई बार मांग की जा चुकी है, लेकिन समस्या का निदान नहीं हुआ।- प्रेमवीर निवासी, नादरमई
मजदूरों को योजना के तहत समय से मजदूरी दी जाती है। सीधे खाते में मजदूरी भेजे जाने का प्रावधान है। प्रदेश में मजदूरों के खाते में एक साथ मजदूरी भेजी जाती है।-सचिन कुमार, सीडीओ
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