[ad_1]
कासगंज। पहाड़ों की बारिश से गंगा में आए उफान के कारण जिले में बाढ़ की स्थिति कष्टकारी हो रही है। बाढ़ का पानी तटवर्ती इलाकों की आबादी में पहुंच गया है। ग्रामीण मार्ग कट रहे हैं। खेतों में फसलें बाढ़ के पानी से जलमग्न हैं। लगातार पानी ग्रामीण आबादी की ओर बढ़ता जा रहा है। अब तक 30 गांव बाढ़ की चपेट में आ चुके हैं। बांधों को खतरा बढ़ रहा है। सभी बांधों पर सिंचाई विभाग के अभियंता और कर्मी बांधों की मजबूती के लिए काम करते रहे। आज और बाढ़ के हालात विकराल होंगे। ग्रामीणों में बाढ़ की स्थिति को देखते हुए बेचैनी है। बाढ़ से प्रभावित गांवों में जनजीवन अस्त व्यस्त है।
बुधवार को जिले में बाढ़ के दुष्कर हालात बने रहे। बृहस्पतिवार को सुबह 8 बजे तक नरौरा बैराज से 2.94 लाख क्यूसेक पानी छोड़ा जा रहा था, लेकिन दस बजे नरौरा बैराज से 3.11 लाख क्यूसेक पानी छोड़ा गया। इसी के साथ ही जिले में हाईफ्लड के हालात बन गए। पूरे दिन गंगा में उफान बना रहा। यह उफान शुक्रवार को भी बने रहने की स्थिति है। गंगा के उफान से सोरोंजी क्षेत्र के गांव लहरा, दतलाना, अभयपुरा, उढ़ेर, डिंगलेशनगर, कंडेलगंज, बघेला, पाठकपुर, कादरवाड़ी, गऊपुरा सहित अन्य गांव को चपेट में ले लिया।
बाढ़ के पानी से बघेला का मार्ग कट गया वहीं पाठकपुर गांव का मार्ग भी बाढ़ के पानी से कट गया है। इन इलाकों में बाजरा, मक्का, ईख आदि की फसलों में पानी भरा हुआ है। लगातार ग्रामीण आबादी की ओर पानी बढ़ता जा रहा है। जिसको लेकर ग्रामीण चिंतित हैं। दतलाना गांव में विद्यालय, पंचायतभवन और गांव की आबादी में काफी पानी है। गांव के पश्चिमी क्षेत्र में कमर तक पानी पहुंच गया है वहीं गलियों में घुटनों तक पानी है। इसी इलाके के नगला पटिया, नगरिया फार्म आदि इलाकों में फसलें पानी में डूबी हुई हैं।
दतलाना बांध पर कटान के खतरे को देखते हुए पूरे दिन बांध की मजबूती के लिए बोरियों में बालू भरकर डाली गई। जिससे बांध न कट पाए। लहरा कुष्ठ आश्रम के चारों ओर बाढ़ का पानी भरा हुआ है। कछला क्षेत्र के आस पास के गांव लक्ष्मीनगला, पंखिया नगला इलाके में बाढ़ का पानी भरा हुआ है। कासगंज-बरेली मार्ग पर पानी का दबाव बढ़ता जा रहा है। गढ़ी रामपुर, बमनपुरा, अजीतनगर, सहवाजपुर, कैथोला, उलाई, रफातपुर, नगला ढाव, किसौल, किलौनी, सुन्नगढ़ी, बस्तोली, ब्रहमपुर, देवकली के खेतों और आबादी क्षेत्रों में पानी भर गया है। किसौल गांव में पानी बढऩे की और आशंका को देखते हुए प्राइवेट नाव भी लगाई है। इन गांव के सभी खेतों में 2 से 4 फुट तक पानी भरा हुआ है। खेतों में खड़ी मक्का और बाजरा की फसलें बर्बाद हो रही हैं।
अजीतनगर गांव की स्थिति सर्वाधिक खराब है। इस गांव के चारों और पानी है। बाढ़ का पानी भरा होने से खेतों की फसलें सडऩे लगी हैं। अजीतनगर में क्षतिग्रस्त पुलिया को बालू डालकर संभालने की कोशिश की गई। ग्राम प्रधान सेवाराम ने पुलिया पर बाढ़ का पानी रोकने की कवायद शुरू की। सहवाजपुर धर्मपुर मार्ग पर कई जगह सडक़ के उत्तरी किनारे से दक्षिणी किनारे की ओर सडक़ पर होकर पानी बह रहा था। गंजडुंडवारा के गनेशपुर भाटान में आबादी में बाढ़ का पानी भरा होने के कारण लोग बेचैन हो उठे। यहां आशाराम और शिशुपाल की झोपड़ी के पास बाढ़ का पानी पहुंच गया। दोनों ही ग्रामीण अपना जरूरी सामान उठाकर दूसरे स्थान पर ले जाते नजर आए। तमाम बुर्जी बिटौरे बाढ़ के पानी में भीग गए।
गनेशपुर भाटान गांव के खेतों में काफी पानी भरा हुआ है। कादरगंज पर गंगा पर बने बांध में कटान होने के कारण कादरगंज के अंतेष्टी स्थल तक बाढ़ का पानी पहुंच गया है। जिससे स्थिति खराब होती जा रही है। पटियाली इलाके के गंगा पार के ग्रामीण भी बेहद चिंतित हैं। जिस तरह से गंगा में उफान चल रहा है उस तरह से कभी भी बाढ़ की आपदा इन इलाकों में आ सकती है। कटान प्रभावित बरौना गांव में बरगद के पास से लगातार गंगा का पानी गांव की आबादी के एक हिस्से को प्रभावित कर रहा है। वहीं गंगा की उफनती धारा से कटानरेधी कार्यों के प्रभावित होने की आशंका बनी हुई है।
बैराजों से पानी का डिस्चार्ज दोपहर 3 बजे तक
हरिद्वार- 109516 क्यूसेक
बिजनौर- 133084 क्यूसेक
नरौरा- 311996 क्यूसेक
– नरौरा से अधिक पानी छोड़े जाने के कारण बाढ़ की स्थिति बन गई है। अभी बाढ़ का प्रभाव और बढ़ेगा। लगातार बढ़ा हुआ पानी चल रहा है। सिंचाई विभाग पूरी तरह से अलर्ट पर है। बांधों की निगरानी और मरम्मत का कार्य चल रहा है। बाढ़ कंट्रोल रूम भी सक्रिय है। – अरुण कुमार, अधिशासी अभियंता, सिंचाई
एसडीएम ने बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों की जानी स्थिति, बांधों का किया निरीक्षण
फोटो संख्या 25, 26 प्रेषित है-
– व्यवस्थाओं के संबंध में दिए आवश्यक दिशा निर्देश
संवाद न्यूज एजेंसी
कासगंज। हाई फ्लड बाढ़ होने के बाद जहां सिंचाई विभाग के अधिकारी बाढ़ प्रभावित इलाकों में सक्रिय नजर आए वहीं कासगंज और पटियाली के एसडीएम तहसीलदार और राजस्व कर्मियों की टीम के साथ बांधों की सुरक्षा की स्थिति का निरीक्षण करते नजर आए। वहीं प्रभावित इलाके के लोगों से संवाद कर उनकी समस्याएं सुनकर निदान कराया।
सोरोंजी के दतलाना, बघेला, पाठकपुर आदि इलाकों में एसडीएम सदर पंकज कुमार सिंह, तहसीलदार अजय कुमार, सिंचाई विभाग के अभियंता संजय शर्मा मौके पर रहे। उन्होंने दतलाना के बांध का निरीक्षण किया। सिंचाई विभाग के द्वारा बांध की मजबूती के लिए काम कराया गया। दोनों ही अधिकारियों ने ग्रामीणों से बातचीत की और सिंचाई विभाग को बांध की सुरक्षा के संबंध में निर्देश दिए। सिंचाई विभाग के द्वारा बांधों की सुरक्षा के लिए बालू की बोरियां तैयार कराकर रखी गईं। जिससे कहीं भी आपात स्थिति होने पर उससे निपटा जा सके।
वहीं पटियाली तहसील क्षेत्र के बाढ़ प्रभावित गांव बरौना पर एसडीएम पटियाली कुलदीप सिंह, नायब तहसीलदार अरविंद गौतम मौके पर पहुंचे। उन्होंने कटान की स्थिति को परखा। उन्होंने बरीबगवास के बांध सहित अन्य प्रभावित इलाकों में गंगा के बढ़ते जलस्तर का जायजा लिया और व्यवस्थाओं के संबंध में निर्देश दिए।
गनेशपुर भाटान पर बंधा कटने पर की गई मरम्मत
गंजडुंडवारा। गांव गनेशपुर भाटान में गंगा के पानी का दबाव बढऩे से ग्रामीणों के द्वारा बनाया गया बंधा कट गया। ग्रामीणों ने मिट्टी डालकर इस बंधे की मरम्मत की है। मिट्टी डालने के बाद बंधे पर बालू की बोरियां लगाने का काम किया गया। बांध कटने से गांव में खेतों की ओर काफी पानी पहुंच गया। अभी और अधिक पानी आने पर इस बांध के कटने का खतरा बना हुआ है।
बाढ़ के पानी से पुलिया में फंसकर भैंस की मौत
सोरोंजी। लहरा गांव में बाढ़ का काफी पानी पहुंच गया है। गांव के राजाराम की भैंस बुधवार रात को बाढ़ के पानी में बहकर लहरा कुष्ठ आश्रम की पुलिया में आकर फंस गई। ग्रामीणों ने भैंस को निकालने की काफी कोशिश की। फिर नगरपालिका की जेसीबी की मदद से भैंस को बाहर निकाला गया। तब तक भैंस मर गई। लहरा में सडक़ के दोनों किनारे और मार्ग में बनीं बगीचियों के आस पास बाढ़ का पानी भरा हुआ है।
खतरे से अंजान बच्चे कर रहे मस्ती
कासगंज। बाढ़ आपदा का सामना कर रहे ग्रामीण चिंतित हैं। ग्रामीण दिनभर बाढ़ से बचाव के कार्य में जुटे हैं, लेकिन बाढ़ प्रभावित गांव के बच्चे मस्ती से पीछे नहीं हट रहे। बाढ़ के पानी से मछली पकडऩे की कोशिश में लगे रहते हैं। बमनपुरा में भी कुछ बच्चे दुपट्टे के सहारे पानी में मछली पकडऩे की कवायद करते हुए मस्ती करते नजर आए। गड्ढों में भरे बाढ़ के पानी में भी बच्चे नहाने की मस्ती कर रहे हैं। जबकि खतरे से अंजान बच्चे मस्ती में जुटे हैं।
सडक़ों के किनारे और सूखे स्थानों पर चराए जा रहे पशु
कासगंज। बाढ़ प्रभावित इलाकों में चारागार, खेत, ग्रामीण आबादी सभी जगह पानी ही पानी है। ऐसी स्थिति में पशुओं को बांधने का संकट है। जिन गांव में ऊंचे स्थान मौजूद हैं वहां पशु पालकों ने अपने पशुओं को बांध दिया है और उन स्थानों पर ही पशु चराए जा रहे हैं। वहीं जहां ऊंचा स्थान नहीं है वहां सडक़ों पर ग्रामीणों ने पशुओं को बांध दिया है और पशुओं को सडक़ के किनारे ही चराया जा रहा है। वहीं तमाम ग्रामीण, पशुपालक अपने पशुओं को चराने के लिए 5-5 किलोमीटर चलकर सूखे स्थानों की ओर ले जाते हैं जहां बाढ़ का पानी नहीं है। बाढ़ प्रभावित इलाकों में यह समस्या भी बढ़ती जा रही है। जिस तरह से गंगा का उफान बढ़ रहा है तो पशुओं को बांधने के लिए सूखा स्थान नहीं मिल पा रहा।
[ad_2]
Source link