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आरटीओ, आगरा
– फोटो : अमर उजाला
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उत्तर प्रदेश के आगरा में संभागीय परिवहन विभाग में आरटीओ और एआरटीओ (प्रशासन) बदल गए लेकिन लोगों को हालात में कोई बदलाव नहीं दिखा। आवेदकों का आरोप है कि कोई भी कार्य एजेंट के बिना नहीं होता है। लोग अपने काम के लिए कुर्सी-कुर्सी चक्कर लगाते रहते हैं। उन्हें लिपिक टहलाते रहते हैं। एक फाइल खोजने में दो दिन का समय लगा दिया जाता है।
वाहन का ट्रांसफर, एनओसी, परमिट और फिटनेस कार्य कराना आरटीओ में आसान नहीं है। शासन की तरफ से ड्राइविंग लाइसेंस की ऑनलाइन व्यवस्था है। उसके बाद भी आवेदक को कार्यालय आना पड़ता है। आरटीओ और एआरटीओ (प्रशासन) के पद पर नए अधिकारी आए हैं।
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मौजूद लोगों ने बताया कि नए अदिकारियों के आने के बाद भी कार्यालय में कोई बदलाव देखने को नहीं मिल रहा है। करबला के कल्लू अपनी बाइक का रजिस्ट्रेशन कराने बुधवार को आए थे। उन्होंने बताया कि बाइक पर बैंक से लोन ले रखा था, उसे पूरा भर चुके हैं। अब आरसी निकलवाने आए हैं।
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बताया कि एजेंट इस काम के 5000 रुपये तक ले चुका है फिर भी काम नहीं हो रहा। बाह के बदन सिंह ट्रैक्टर की एनओसी के लिए विभाग के चक्कर काट रहे हैं। उनका कहना है कि लिपिक कोई भी जानकारी नहीं देते हैं। फाइल नहीं मिल रही है। बिना एजेंट के कोई काम नहीं हो सकता है।
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