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आगरा किला
– फोटो : अमर उजाला
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उत्तर प्रदेश के आगरा में जी-20 आयोजन के दौरान आगरा किला के दीवान-ए-आम में चौड़ी हुई दरारों में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग ने टेल-टेल ग्लास जांच के लिए लगाया था। इसके अध्ययन के बाद तय किया गया कि इसे तीन माह मई तक लगा रहने दिया जाएगा। इसके बाद फिर से दरारों का अध्ययन होगा। तब तक दीवान-ए-आम में बैरिकेडिंग लगी रहेगी।
बीती 11 फरवरी की रात जी-20 प्रतिनिधिमंडल के लिए महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने दीवान-ए-आम में प्रोजेक्शन मैपिंग व सांस्कृतिक प्रस्तुति कराई थी। कहा गया कि इसमें तेज आवाज के कारण स्मारक में दरारें आ गई थीं। यहां 10 फरवरी को पूरी रात रिहर्सल में भी तेज आवाज गूंजी थी, जिसके बाद ही दरारें चौड़ी हो गईं। इसके बाद भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) ने दीवान-ए-आम में बैरिकेडिंग लगा दी है।
पहले यहां हुआ प्रयोग
टेल-टेल ग्लास इससे पहले ताजमहल, जामा मस्जिद और आगरा किला के जहांगीरी महल में लगाया जा चुका है। किला के जहांगीरी महल की ऊपरी मंजिल, ताजमहल के तहखाना व ऊपरी मंजिल में टेल-टेल ग्लास लगाया जा चुका है। जामा मस्जिद की दक्षिण-पूर्वी बुर्जी में बाहर की तरफ यह लगाया गया था, ताकि आगरा फोर्ट स्टेशन से गुजरने वाली ट्रेनों के कंपन से जामा मस्जिद पर प्रभाव का अध्ययन किया जा सके। यह आज भी वहां लगा है। यहां रेल की गति सीमा 20 किमी तय की गई है।
दरारें चौड़ी होने पर टूट जाएगा टेल-टेल ग्लास
टेल-टेल ग्लास ब्लड सैंपल लेने वाली कांच की पट्टी की तरह पतला कांच होता है, जिसे स्मारक में आई दरारों में मसाले के साथ लगा दिया जाता है। दरार की चौड़ाई बढ़ने पर यह दबाव पड़ने से टूट जाता है। इससे यह पता चल जाता है कि दरार की चौड़ाई बढ़ रही है। अधीक्षण पुरातत्वविद डॉ. राजकुमार पटेल ने बताया कि तीन माह तक ग्लास लगाकर अध्ययन किया जाएगा। हाल में शिवाजी जयंती के कार्यक्रम के बाद भी एएसआई ने टेल-टेल ग्लास को जांचा था। इसकी दरारों में कोई बढ़ोतरी नहीं हुई थी।
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