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इटावा में मरे तेंदुए की फाइल फोटो।
– फोटो : Agra Dehat
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बाह(आगरा)। बाह से सटे इटावा के चंबल के बीहड़ में 13 दिन पहले मादा तेंदुए का शव मिलने से हड़कंप मच गया था। पोस्टमार्टम में तेंदुए की मौत की गुत्थी नहीं सुलझ सकी है। अब विसरा की रिपोर्ट का इंतजार हो रहा है। इसे बरेली भेजा गया है। वहीं बाह में वन विभाग ने अलर्ट जारी किया है।
28 नवंबर को बाह की सीमा से लगे इटावा के मुरोंग गांव के चंबल के बीहड़ में ज्यूलीफ्लोरा (विलायती बबूल) के पेड़ की डालियों के बीच मादा तेंदुए का शव फंसा मिला था। करीब 5 साल की मादा तेंदुए की शिकार के दौरान फंसकर मौत होने का अनुमान लगाया जा रहा था। वन विभाग ने शव पोस्टमार्टम के लिए वेटनरी कॉलेज मथुरा भेजा था। इटावा के रेंजर हरिकिशोर शुक्ला ने बताया कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट में तेंदुए की मौत की वजह नहीं पता चल सकी है। विसरा आईवीआरआई बरेली भेजा गया है।
वहीं बाह की सीमा से लगे मुरोंग में तेंदुए की मौत को लेकर बाह रेंज में अलर्ट जारी किया गया है। रेेंजर आरके सिंह ने बताया कि रेंज में इटावा से सटे उदयपुर खुर्द से लेकर राजस्थान से लगे तासौड़ तक निगरानी बढ़ा दी गई है। मानव और वन्यजीव संघर्ष टालने के लिए बीहड़ी गांवों में गठित समितियों को सतर्क कर दिया है। पिछले साल बाह रेंज के विभिन्न इलाकों में करीब 30 तेंदुए और शावक दिखे थे।
बाह(आगरा)। बाह से सटे इटावा के चंबल के बीहड़ में 13 दिन पहले मादा तेंदुए का शव मिलने से हड़कंप मच गया था। पोस्टमार्टम में तेंदुए की मौत की गुत्थी नहीं सुलझ सकी है। अब विसरा की रिपोर्ट का इंतजार हो रहा है। इसे बरेली भेजा गया है। वहीं बाह में वन विभाग ने अलर्ट जारी किया है।
28 नवंबर को बाह की सीमा से लगे इटावा के मुरोंग गांव के चंबल के बीहड़ में ज्यूलीफ्लोरा (विलायती बबूल) के पेड़ की डालियों के बीच मादा तेंदुए का शव फंसा मिला था। करीब 5 साल की मादा तेंदुए की शिकार के दौरान फंसकर मौत होने का अनुमान लगाया जा रहा था। वन विभाग ने शव पोस्टमार्टम के लिए वेटनरी कॉलेज मथुरा भेजा था। इटावा के रेंजर हरिकिशोर शुक्ला ने बताया कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट में तेंदुए की मौत की वजह नहीं पता चल सकी है। विसरा आईवीआरआई बरेली भेजा गया है।
वहीं बाह की सीमा से लगे मुरोंग में तेंदुए की मौत को लेकर बाह रेंज में अलर्ट जारी किया गया है। रेेंजर आरके सिंह ने बताया कि रेंज में इटावा से सटे उदयपुर खुर्द से लेकर राजस्थान से लगे तासौड़ तक निगरानी बढ़ा दी गई है। मानव और वन्यजीव संघर्ष टालने के लिए बीहड़ी गांवों में गठित समितियों को सतर्क कर दिया है। पिछले साल बाह रेंज के विभिन्न इलाकों में करीब 30 तेंदुए और शावक दिखे थे।
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