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फोटो और फुटेज से खोजा
सूचना के बाद से ही अंदाजा लगाया जा रहा था कि अपहरण करने वाले के तार दौरेठा और आजमपाड़ा से ही जुड़े हैं, क्योंकि मयंक पिता की ननिहाल आया था। ऐसे में एसएसपी प्रभाकर चौधरी ने अलग-अलग पुलिसकर्मियों को मोहल्ले में लगाया। पुलिसकर्मी बिना वर्दी के आरोपी की पहचान में लगे थे। फोटो और फुटेज लेकर लोगों से संपर्क कर रहे थे। सर्विलांस टीम, एसओजी और क्रिमिनल इंटेलीजेंस विंग अलग से लगी थी। फुटेज को देखकर बस्ती के लोगों ने कुछ सुराग दिए। बच्चे के पिता को भी कुछ लोगों ने बताया कि मौसिम संदिग्ध है, उससे चेहरा मिल रहा है।
मां ने चूमा और गले लगा लिया
बेटा चला गया तो मां मिथलेश का चैन चला गया था। वह बेटे की सकुशल वापसी के लिए घर के मंदिर के सामने बैठ गईं। प्रार्थना करने लगीं कि कैसे भी करके बेटा मिल जाए। बृहस्पतिवार सुबह जब मयंक को लेकर पुलिस घर पहुंची तो मिथिलेश ने उसे गोद में उठा लिया। उसके माथे व हाथ को चूमा और उसे गले से लगा लिया। मिथलेश ने बताया कि मयंक काफी चंचल है। छोटा होने की वजह से दुलारा है। मंगलवार शाम को 5.30 बजे उसका अपहरण हो गया तो वो परेशान हो गईं। वह रोए जा रहीं थीं।
उनके साथ दादी कांता देवी ने खाना-पीना तक छोड़ दिया था। बुधवार आधी रात को जब बेटे के मिलने के बारे में पता चला तो उनकी खुशी का ठिकाना नहीं रहा। देवर राहुल ने उन्हें वीडियो कॉल करके मयंक को दिखाया। बृहस्पतिवार सुबह 7 बजे वह उसे लेकर आए। मयंक के पिता जयप्रकाश, दादा विशंभर सिंह, चाचा राहुल ने पुलिस को धन्यवाद दिया। कहा कि पुलिस तत्परता नहीं दिखाती तो बेटे का बरामद होना आसान नहीं था।
पहले भी हो चुकी हैं वारदात
– मार्च 2016 में मदिया कटरा के रहने वाले कागज कारोबारी के छह साल के बेटे का अपहरण किया गया था। पुलिस टीम ने तत्परता से बालक को बरामद किया था।
– शास्त्रीपुरम में छह महीने पहले मजदूर के बेटे को महिला और युवक उठाकर ले गए थे। पुलिस की टीम कई दिन तक लगी रही थी। इसके बाद महिला और उसके साथी को पकड़ लिया गया था। वह निसंतान दंपती को बच्चा बेचना चाहते थे।
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