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थाना सिकंदरा में मृतक के पिता गंगा चरन सहित अन्य परिजन आए। उन्होंने पुलिस को बताया कि गौरव तीन महीने पहले बल्लभगढ़ में एक कार कंपनी में नौकरी करता था। किसी कारण नौकरी छूट गई। तब से घर में ही रह रहा था। एक सप्ताह पहले घर से निकला था, बताया था कि वह वैष्णो देवी मंदिर घूमने जा रहा है। वहां जाकर फोन पर बात भी की थी। कुछ दिन में घर आने और कई बार फोन पर बात भी की। कभी दिल्ली तो कभी आगरा बताया था। ठीक से कोई जबाव नहीं दिया था। वह यहां क्यों आया था, इसकी जानकारी किसी को नहीं है।
प्रभारी निरीक्षक ने बताया कि रात में पुलिस गश्त पर रहती है। तड़के पांच बजे आखिरी बार पुलिस की गश्त लगी थी। मगर, तब तक कोई हादसा नहीं था। सुबह 7 बजे हादसे की जानकारी मिली। इससे आशंका है कि तड़के 5 से 7 बजे के बीच हादसा हुआ है। हादसा किस वाहन से हुआ यह पता नहीं चला। कोहरा भी घना था, इस वजह से लोगों को उसके सड़क पर पड़े होने का पता नहीं चला होगा।
क्षेत्रीय लोगों ने बताया कि तड़के गांव के लोग बाहर निकले थे। तब हड्डियां और कपड़े नजर आए। यह देखकर उनके रोंगटे खड़े हो गए। शव को कई वाहन कुचल गए थे। हड्डियां भी वाहनों के पहियों से कुचलकर सड़क से चिपक गईं थीं। लोगों की भीड़ जुटने पर उसी में से किसी ने पुलिस को जानकारी दी गई।
दिल्ली के बाद इस हादसे ने झकझोरा
दिल्ली में स्कूटी सवार युवती को सड़क हादसे में टक्कर के बाद कई किलोमीटर तक घसीट ले जाने की घटना को लोग अभी नहीं भूले थे कि इस हादसे ने लोगों को झकझोर दिया। युवक अकेले था या कोई और उसके साथ था। युवक पैदल वहां कैसे पहुंचा, वहां यहां क्या करने आया था आदि सवाल पुलिस और परिवार के लिए अनसुलझे हैं। पर, हादसे के बाद शव को घंटों रौंदते रहने की घटना ने हाईवे पर चौकसी की व्यवस्था पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं।
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