[ad_1]
सॉल्वर गैंग…
– फोटो : अमर उजाला
विस्तार
एसएससी जीडी की परीक्षा में सॉल्वर गैंग नकली फिंगरप्रिंट से सेंध लगा रहा था। असली अभ्यर्थी की जगह सॉल्वर परीक्षा दे रहे थे। छह लाख रुपये में पूरी परीक्षा में पास कराने का ठेका लेते थे। शनिवार को सैंया पुलिस ने सरगना, सॉल्वर सहित 7 को गिरफ्तार किया है।
सरगना नकली फिंगरप्रिंट तैयार कराता था, जिसे सॉल्वर इस्तेमाल करके परीक्षा केंद्र के कर्मचारी की मदद से आसानी से प्रवेश कर जाता। कर्मचारी 30 हजार रुपये तक एक साॅल्वर के लेता था। अभ्यर्थी के नकली फिंगरप्रिंट के कारण बायोमेट्रिक में सॉल्वर नहीं पकड़ा जाता था।
डीसीपी पश्चिमी सोनम कुमार ने बताया कि एक महीने में सॉल्वर गैंग के 10 सदस्य गिरफ्तार किए जा चुके हैं। इसके बावजूद गैंग सक्रिय था। इनके बारे में जानकारी जुटाई जा रही थी। पुलिस टीम लगाई थी। इस पर मुखबिर से गैंग के बारे में जानकारी मिली। शनिवार को सैंया के वीरई चौराहे से सॉल्वर गैंग को पकड़ लिया गया।
छह लाख में लेते थे ठेका
पुलिस की पूछताछ में पता चला कि आरोपी समरवीर गैंग का सरगना है। वह परा स्नातक है। नेट की परीक्षा पास कर चुका है। पीएचडी कर रहा है। परीक्षा में पास कराने के लिए छह से आठ लाख रुपये लेता है। वह परीक्षा में सॉल्वर बैठाने से लेकर पास कराने तक का दावा करते थे। सिर्फ साॅल्वर बैठाना है तो दो लाख रुपये तक लेते। समरवीर का साथी हेतराम है।
परीक्षार्थियों से पूर्व में ही आधी रकम ले ली जाती है। जितेंद्र और प्रदीप पढ़ाई में कमजोर युवाओं से बात करते हैं। वह परीक्षा केंद्र पर साॅल्वर ले जाते हैं। वहीं रुपये भी लेते हैं। रविकांत यादव सॉल्वर है। वह एक परीक्षा के 50 हजार रुपये लेता है। सुनील कुनाल स्कूल का कर्मचारी है। सुनील की काॅलेज प्रबंधक के साथ व्यवस्था रहती है। समरवीर की उससे बातचीत है। वह स्कूल के गेट पर रहता है।
वह सॉल्वर को अंदर प्रवेश दिला देता है। वह एक साॅल्वर के 30 हजार रुपये लेता है। कैलाश चंद फिंगरप्रिंट तैयार करता है। इसके लिए पांच हजार रुपये लेता है। नकली फिंगरप्रिंट काे रविकांत ही परीक्षा के समय उपयोग में लाता है। वह कई सॉल्वर बैठा चुके हैं। समरवीर कई साल से काम कर रहा है। पुलिस उसका आपराधिक इतिहास खंगाल रही है।
इनकी हुई गिरफ्तारी
इरादतनगर के कुर्रा टोडरा निवासी हेतराम, कागारौल के गढ़ी कालिया समरवीर, मथुरा के प्रताप नगर निवासी प्रदीप कुमार, अकोला निवासी जितेंद्र, फिरोजाबाद निवासी रविकांत यादव, नगला सेवा धधाऊ निवासी सुनील और शिकोहाबाद निवासी कैलाश चंद को गिरफ्तार किया गया है। उनके पास से एक कार, एक बाइक, नौ मोबाइल, 57900 रुपये, दो नकली फिंगरप्रिंट के लिफाफे, दो कांच प्लेट, फोटो के कागज, दो इंक पेड, लिक्विड बोतल आदि बरामद हुए हैं।
परीक्षा की तैयारी करते हुए बन गया सॉल्वर
मक्खनपुर, फिरोजाबाद का रहने वाला रविकांत यादव स्नातक पास है। वह प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहा है। पैसे के लालच में साॅल्वर बन गया। पुलिस की पूछताछ में पता चला कि उसने पिछले दिनों कुनाल एजूकेशनल काॅलेज में रामकुमार और राजकुमार के बदले परीक्षा दी थी। इसके अलावा भी कई परीक्षाओं में बैठ चुका है।
कांच, स्याही, टेप से बनता था नकली फिंगरप्रिंट
सॉल्वर गैंग का सदस्य कैलाश चंद नकली फिंगरप्रिंट तैयार करता था। इसके लिए कांच, स्याही, टेप का इस्तेमाल करता है। थाना सैंया के प्रभारी सुमनेश विकल ने बताया कि कैलाश चंद पूर्व में मुहर बनाने का काम करता था। बाद में वो कंंप्यूटर से मुहर बनाने लगा। इस दौरान ही उसने नकली फिंगरप्रिंट तैयार करने का तरीका सीखा।
पुलिस की पूछताछ में पता चला कि कैलाश चंद फिंगरप्रिंट के लिए कांच और फोटो पेपर के साथ ही स्याही का इस्तेमाल करता है। फोटो बनाने वाले पेपर पर अभ्यर्थी का फिंगरप्रिंट स्याही के माध्यम से लेते हैं। उसे स्कैन करके विशेष पेपर पर प्रिंट निकाल लिया जाता है। इसे कांच की प्लेट पर रखते हैं। इसके बाद अंगूठा निशानी पर एक पारदर्शी टेप चिपका दिया जाता है।
इसके बाद पेपर के बाॅर्डर को चारों तरफ से कवर कर दिया जाता है। इसमें एक लिक्विड भरा जाता है। इसके सूखने के बाद टेप को निकाल लिया जाता है। यह टेप ही फिंगरप्रिंट के रूप में काम आ जाता है। इस प्रक्रिया में 1-2 घंटे लगते हैं। इसे सॉल्वर परीक्षा केंद्र में प्रवेश और परीक्षा के लिए इस्तेमाल करता है। काॅलेज में भी कोई पकड़ नहीं पाता है।
[ad_2]
Source link