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शोभायात्रा से पहले तैयार मुकुट तैयार करते हुए कारीगर
– फोटो : अमर उजाला
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उत्तर प्रदेश के आगरा में लकड़ी और कागज के गत्ते से बना तीन फीट का चमचमाता मुकुट श्रीमनकामेश्वर नाथ को शुक्रवार के दिन पहनाया जाएगा। सन 1891 में शुरू की गई मोहल्ले की मुकुट शोभायात्रा श्री रामलीला महोत्सव का अभिन्न अंग बन गई है। प्रजापति समाज मुकुट तैयार करता है और कोरी समाज के लोग धूमधाम के साथ शोभायात्रा निकालकर मुकुट भगवान मनकामेश्वर बाबा को चढ़ाएंगे।
29 सितंबर को अपराह्न 2 बजे टीला कालीबाड़ी चित्रा रामलीला महोत्सव के प्रथम चरण में भगवान श्रीमनकामेश्वर महादेव को मुकुट चढ़ाया जाएगा। शोभायात्रा शुरू होने से एक सप्ताह पहले मुकुट बनाना शुरू हो जाता है। घटिया आजम खां निवासी प्रजापति समाज के काके बाबू ने बताया कि वह तीसरी पीढ़ी का हिस्सा हैं।
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दादा फतेह सिंह ने मुकुट बनाना शुरू किया था। उसके बाद पिता सुरेश चंद्र मुकुट बनाते थे। मुकुट का सारा काम हाथों से किया जाता है। बांस की खपच्ची और कागज के गत्ते से मुकुट तैयार होता है। तीसरी पीढ़ी में मैं मुकुट बना रहा हूं। बेटे को भी मुकुट बनाना सिखा रहा हूं।
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इस साल 133वां मुकुट पहनेंगे महादेव
श्री मुकुट शोभायात्रा समिति के सदस्य सोमनाथ ने बताया कि 1891 में स्व. करन सिंह कोरी ने सर पर मुकुट रखकर शोभायात्रा शुरू की थी। मोहल्ले के लोग बांसुरी, तबला, ढोलक बजाते हुए श्रीमनकामेश्वर नाथ महादेव मंदिर पर मुकुट अर्पित करने पहुंचे थे। सन 1961 में पहली बार स्व. बाबू लाल ने चांदी का रथ भेंट के रूप में दिया था, तब से चांदी के रथ पर मुकुट रखकर शोभायात्रा निकाली जाती है। यह महोत्सव कोरी समाज के हजारों लोगों का सबसे बड़ा आयोजन है।
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