[ad_1]
आगरा की शाही जामा मस्जिद में नमाज पढ़ते अकीदतमंद
– फोटो : अमर उजाला
विस्तार
आगरा शाही जामा मस्जिद में चांद कमेटी की बैठक के दौैरान मुफ्ती बुरहान को मुफ्ती-ए-शहर घोषित करने का मुस्लिमों ने विरोध किया है। बृहस्पतिवार को सदर भट्ठी स्थित शोबिया इंटर कॉलेज में मुस्लिम समाज के मुअज्जिज लोगों की बैठक में शाही जामा मस्जिद कमेटी के मनमाने फैसले को गैर मजहबी बताया गया।
हाजी जमीलउद्दीन कुरैशी की सदारत में आयोजित बैठक में वक्ताओं ने कहा कि किसी भी कमेटी को दीनी मामलों में दखल करने का अधिकार नहीं है। मुस्लिम समाज के लोग शहर-ए-मुफ्ती मजदुल खुबैब रूमी को मानते हैं। ऐसे में वह भी ईद की नमाज अदा कराएंगे। हाजी जमील उद्दीन कुरैशी ने कहा कि शाही जामा मस्जिद की कमेटी को शहर मुफ्ती बदलने का कोई अधिकार नहीं है। इस कमेटी के अधिकार सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड सीज कर चुका है। जब इनके अधिकार सीज हो चुके हैं तो यह किसी भी तरह का फैसला लेने में सक्षम नहीं हैं।
उन्होंने कमेटी के अध्यक्ष मोहम्मद जाहिद कुरैशी के खिलाफ चल रहे आपराधिक मुकदमों की जांच कराने की मांग की। वर्तमान कमेटी के सह सचिव परवेज आलम ने भी फैसले को गलत बताया। कहा कि जब कमेटी का सचिव देश के बाहर है तो यह फैसला नहीं लिया जा सकता है। नदीम नूर ने कहा कि चंद ताकतें त्योहार पर फजा खराब करना चाहती हैं। ऐसे लोगों के विरुद्ध प्रशासन को कदम उठाना चाहिए। इस दौरान हाजी असलम कुरैशी ने बताया कि इस्लामियां लोकल एजेंसी उनका ट्रस्ट है, जबकि इसके नाम का इस्तेमाल जामा मस्जिद के लोग कर रहे हैं। इस दौैरान सर्वदलीय मुस्लिम एक्शन कमेटी के इरफान सलीम, अमजद कुरैशी, सेठ नईम आदि मौजूद रहे।
[ad_2]
Source link