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गणेश जी
– फोटो : सोशल मीडिया
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ग्वालियर राजघराने के मराठा सरदार राजा महादजी सिंधिया ने वर्ष 1760 में गोकुलपुरा स्थित प्राचीन देवा गणेश मंदिर का जीर्णोद्धार कराया था। तब इसका नामकरण श्रीसिद्धि विनायक गणेश मंदिर किया था। करीब पौने तीन सौ साल बाद ग्वालियर राजघराने के वारिस महा आर्यन सिंधिया ने रामनवमी पर मंदिर में पूजा की। उन्होंने कहा कि मंदिर को विशाल रूप दिया जाएगा। वह गणेश चतुर्थी पर फिर आएंगे।
मंदिर के महंत पंडित ज्ञानेश शास्त्री ने बताया कि महादजी सिंधिया ने अपने राजकाल में गणेश मंदिरोंं का जीर्णोद्धार कराया था। उनके पूर्वजों ने बताया था कि महादजी ने गोकुलपुरा के इस मंदिर के रखरखाव का जिम्मा लिया। देखरेख के लिए आठ आने रोजाना तय किए थे, जोकि काफी वर्षों तक ग्वालियर से आते रहे। इस मंदिर से गणेश चतुर्थी पर शोभायात्रा की शुरुआत भी की गई, जो सिलसिला आज तक जारी है।
कालांतर में सिंधिया घराने का मंदिर से संपर्क टूट गया। डेढ़ साल पहले सिंधिया घराने के व्यक्ति ने मंदिर में आकर यहां के बारे में जानकारी हासिल की थी। अब लंबे अरसे के बाद सिंधिया घराने के महा आर्यन सिंधिया मंदिर को खोजते हुए गोकुलपुरा पहुंचे। उन्होंने अपने पूर्वजों द्वारा भेजे गए पत्रों को देखा। मंदिर के इतिहास के बारे में जानकारी हासिल की। आधा घंटे तक पूजा की। उन्होंने मंदिर में उनके पूर्वजों द्वारा लगाए प्राचीन पीपल के पेड़ पर मत्था भी टेका।
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विरासत खोजने निकले महाआर्यन
महा आर्यन ने महंत को बताया कि वह ग्वालियर राजघराने के स्थापित मंदिरों को खोज रहे हैं। इस दौैरान उन्होंने मंदिर के विशाल स्वरूप को बनाने की योजना पर भी चर्चा की। कहा कि गणेश शोभायात्रा निकालने के लिए वह आमंत्रण भेजें, तो जरूर आएंगे। मंदिर के सेवायत सोनू शास्त्री ने बताया कि अपनी कारों का काफिला किदवाई पार्क पर छोड़कर पैदल ही मंदिर तक पूजा करने पहुंचे थे। उनकी सादगी देखते ही बनती थी।
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