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उत्तर प्रदेश के आगरा में खुल्ल-खुल्ल (खांसी) बंद नहीं हुई, बुखार भी रहता है। ऐसा होते हफ्तों हो गए फिर भी साधारण बीमारी मानकर अनदेखी की। घर पर स्वास्थ्य विभाग की टीम आई और बलगम की जांच कराया तो टीबी निकली। टीमों ने ऐसे ही 325 मरीज घर-घर जाकर खोजे हैं। इससे तीन साल में डेढ़ गुना नए मरीज हैं। एक बार फिर छिपे मरीजों को चिह्नित करने के लिए विभाग 23 नवंबर से सक्रिय खोज अभियान शुरू करने जा रहा है।
सीएमओ डॉ. अरुण श्रीवास्तव ने बताया कि घर-घर जाकर टीम ने लोगों की स्क्रीनिंग की तो कई लोग जानकारी छिपाने लगे। खांसी-बुखार को सामान्य समझकर जांच से भी बच रहे थे। काउंसिलिंग करने पर जांच के लिए राजी हुए। इससे 2021 में 222, 2022 में 238 और 2023 में नवंबर तक 325 मरीज मिल चुके हैं।
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सीएमओ कार्यालय में मीडिया से बातचीत में नोडल अधिकारी डॉ. पीयूष जैन ने बताया कि 23 नवंबर से 5 दिसंबर तक फिर सक्रिय खोज अभियान शुरू हो रहा है। इसके लिए 372 टीमें बनाई हैं, एक टीम में 3 सदस्य हैं। इनकी निगरानी के लिए 73 सुपरवाइजर लगाए गए हैं। जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ. सुखेश गुप्ता ने बताया कि जिले की 53.20 लाख आबादी है, जिसमें घनी आबादी, अनाथालय, वृद्धाश्रम, नारी निकेतन, जेल, बाल संरक्षण गृह, मदरसा, नवोदय विद्यालय प्रमुखता में रहेंगे।
- 15 दिन से अधिक खांसी और बुखार
- बलगम में खून आना, भूख में कमी
- वजन कम होना, रात में पसीना आना
- गले में गांठ, बांझपन की समस्या
आंकड़े एक नजर में
- 23352: मरीज टीबी के जिले में हैं पंजीकृत
- 11704: मरीज निजी डाक्टरों ने कराए पंजीकृत
- 12972: मरीजों का अभी चल रहा है इलाज
- 883: मरीज ड्रग रजिस्टेंट स्तर के हैं
- 823: डॉट सेंटर हैं जिले में
- 47: माइक्रोस्कॉपिक केंद्र हैं संचालित
- 26: यूनिट टीबी हैं जिले में
- 09: ट्रू नॉट मशीन हैं जांच के लिए
- 04: सीबी नॉट मशीन जांच के लिए
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