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आगरा पुलिस
– फोटो : अमर उजाला
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आगरा में कमिश्नरी प्रणाली से जहां कानून व्यवस्था में सुधार होगा, वहीं पुलिस के अधिकार भी बढ़ जाएंगे। अधिकारियों की संख्या में भी इजाफा होगा। आरोपियों के खिलाफ सीधी कार्रवाई कर सकेगी। मुकदमा लिखाने के लिए पीड़ितों को भटकना भी नहीं पड़ेगा। दीवानी के अधिवक्ता पुलिस कमिश्नरी प्रणाली को कानून व्यवस्था के लिए बेहतर बता रहे हैं।
एडीजीसी क्राइम शशि शर्मा का कहना है कि आजादी से पहले भारत में अंग्रेजों ने मुंबई, कोलकाता और मद्रास में पुलिस कमिश्नरी सिस्टम लागू किया हुआ था। उस समय सारी न्यायिक शक्तियां पुलिस कमिश्नर के पास होती थीं। इस व्यवस्था में पुलिस को डीएम के आदेश का इंतजार नहीं करना पड़ता है। इस प्रणाली में पुलिस खुद ही किसी भी हालात में कानून व्यवस्था से जुड़े फैसले ले सकती है।
आगरा बार एसोसिएशन के सचिव शिशुपाल कसाना ने बताया कि पुलिस कमिश्नर प्रणाली से जनता को सीधा लाभ होगा। पुलिस आरोपियों के खिलाफ सीधी कार्रवाई कर सकेगी। प्रशासनिक अधिकारी पुलिस कमिश्नर के पास जाएंगे। पुलिस अधिकारियों की संख्या में भी इजाफा होगा। लोगों को जिलाधिकारी के पास नहीं जाना होगा। पुलिस की जिम्मेदारी भी ज्यादा बढ़ जाएगी।
युवा अधिवक्ता संघ के मंडल अध्यक्ष नितिन वर्मा ने बताया कि जिन महानगरों में कमिश्नरी व्यवस्था लागू हुई, वहां पर कानून व्यवस्था में काफी सुधार देखने को मिला है। अभी तक पुलिस को एग्जीक्यूटिव शक्तियां नहीं थीं। मगर, कमिश्नरी बनने पर यह मिल जाएंगी। सीआरपीसी की धारा 107/116 और 151 में अभी तक पुलिस चालान पेश करने के लिए एसीएम और एसडीएम के आदेश की आवश्यकता होती थी। नई व्यवस्था हुई तो डीसीपी यह कर सकेंगे।
वरिष्ठ अधिवक्ता सुनील शर्मा ने कहा कि कमिश्नरी व्यवस्था उत्तर प्रदेश के अन्य जिलों में काफी सफल रही है। इसके लागू होने के बाद पुलिस की मनमानी पर रोक लगेगी। जांच के नाम पर महीनों मुकदमा लिखाने के लिए पीड़ितों को भटकना नहीं होगा। पुलिस की कार्यप्रणाली में सुधार होगा। कानून व्यवस्था में सुधार होगा।
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