[ad_1]
ख़बर सुनें
विस्तार
आगरा में नोएडा की तरह ताजनगरी में भी विकास प्राधिकरण के इंजीनियरों ने न केवल अवैध निर्माण पर चुप्पी साधे रखी है, बल्कि बिल्डरों ने अपने प्रोजेक्ट में जो नियम विरुद्ध काम किए, उन्हें भी अनदेखा कर दिया। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने गड़बड़ी करने वाले इंजीनियरों और अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई और जुर्माना वसूलने के आदेश दिए, लेकिन आगरा विकास प्राधिकरण ने पांच महीने में उनसे जवाब तक नहीं मांगा है।
शमसाबाद रोड की नालंदा टाउन कॉलोनी ने एसटीपी का निर्माण नहीं कराया और 1.45 लाख लीटर सीवर खुले मैदान में छोड़ दिया। जिसके बाद 25 मार्च को नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने एडीए पर 25 लाख रुपये का जुर्माना किया था। एनजीटी ने कहा था कि एडीए अपनी ड्यूटी निभाने में फेल साबित हुआ है। एडीए उपाध्यक्ष को इस मामले में जरूरी कदम उठाने होंगे। गुमराह करने वाले एडीए अधिकारियों के खिलाफ उपाध्यक्ष कार्रवाई करें। अधिकारियों की जवाबदेही तय की जाए। जुर्माने की 25 लाख रुपये की रकम एडीए अपने उन गुमराह, गलत करने वाले अधिकारियों से वसूलने के लिए स्वतंत्र है।
पांच महीने से कार्रवाई नहीं
एनजीटी में पर्यावरण मामलों के याचिकाकर्ता डॉ. शरद गुप्ता के मुताबिक नोएडा की तरह ही एडीए के अधिकारी उन इंजीनियरों को बचा रहे हैं, जिन से जुर्माना वसूलने और कार्रवाई के लिए आदेश दिए गए। पांच माह से उपाध्यक्ष इंजीनियरों से जवाब-तलब करने की जगह बचाने में जुटे है। यह एनजीटी के आदेश की अवमानना है।
[ad_2]
Source link