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आगरा यूनिवर्सिटी
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डॉ. आंबेडकर विश्वविद्यालय की परीक्षा कराने वाली कंपनी डिजीटेक्स टेक्नोलॉजीज इंडिया प्रा. लि. को सत्र 2020 से लेकर 2022 तक किए कार्यों का पूर्व कार्यवाहक कुलपति प्रो. विनय पाठक ने जितनी बार भुगतान कराया, उसका उतनी बार कमीशन लिया। हर बार कमीशन की रकम कहां और किसको देनी है करीबी अजय मिश्रा ही बताते थे। उन्होंने ही 63 लाख रुपये अपनी एक कंपनी में ऑनलाइन ट्रांसफर कराए थे। बाकी रकम नकद ली गई। रकम कम पड़ने पर करीबी ने कंपनी के एमडी को न सिर्फ धमकाया, बल्कि अपने घर में बैठाकर भी रखा। रकम न देने पर जान से मारने की धमकी तक मिली। यह आरोप एमडी ने दर्ज मुकदमे में लगाए हैं।
छत्रपति शाहूजी महाराज विश्वविद्यालय कानपुर के वर्तमान व डॉ. भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय के पूर्व कार्यवाहक कुलपति प्रो. विनय पाठक और उनके करीबी अजय मिश्रा के खिलाफ लखनऊ उत्तर के इंदिरा नगर थाने में 29 अक्तूबर को मुकदमा दर्ज हुआ था। डॉ. आंबेडकर विश्वविद्यालय की परीक्षा कराने वाली कंपनी डिजीटेक्स टेक्नोलॉजीज इंडिया प्रा. लि. के एमडी डेविड मारियो डेनिस ने कुलपति और अजय पर पुराने बिल का भुगतान कराने के नाम पर 1.41 करोड़ रुपये वसूलने, धमकाने, भ्रष्टाचार के आरोप लगाए हैं। एसटीएफ ने अजय को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था। इसके अलावा प्रो. पाठक पर लगे आरोपों की जांच की जा रही है।
कुलपति बिल पास करते ही मांगते थे रकम
मुकदमे में एमडी डेविड मारियो डेनिस ने कहा है कि कुलपति के कमीशन की रकम मांगने पर एक्सएलआईसीटी कंपनी के मालिक अजय मिश्रा ने अपने खुर्रमनगर स्थित आवास पर बुलाया था। पहली बार 2.52 करोड़ रुपये के भुगतान के एवज में 33 लाख रुपये कमीशन मांगा। वो 30 लाख रुपये लेकर पहुंचे। तीन लाख रुपये कम होने घर में ही बैठा लिया। बाद में किसी तरह उन्हें छोड़ा गया। दूसरे दिन तीन लाख रुपये पहुंचा दिए। अप्रैल में कुलपति ने 4.45 करोड़ रुपये का बिल पास होने की जानकारी दी। इस बार भी कमीशन के लिए अजय मिश्रा से मिलने के लिए बोल दिया। उन्होंने 73 लाख रुपये मांगे। नकदी नहीं होने में असमर्थता जाहिर की। इस पर उन्होंने इंटरनेशनल बिजनेस फार्म्स, अलवर, राजस्थान के खाते में 63 लाख रुपये ट्रांसफर कराए। बाकी 10 लाख रुपये नकद लिए। एक सितंबर को 2.79 लाख रुपये का बिल पास करने के एवज में 35.55 लाख रुपये और लिए।
तब दिलवा दिया करीबी की कंपनी को काम
आरोप यह भी है कि कुलपति प्रो. पाठक ने परीक्षा सत्र 2022-23 से संबंधित कार्य का अनुबंध जारी रखने के लिए कमीशन मांगा। जब उन्होंने कहा कि नई कुलपति जैसा कहेंगी वैसा करूंगा। इस पर प्रो. पाठक ने 10 लाख रुपये मांगे। इसे देने पर ही अनुबंध जारी रखने की बात कही। कमीशन नहीं देने पर अजय मिश्रा की कंपनी यूपीडेस्को को काम दिलवा दिया।
जांच के घेरे में ओएमआर शीट सप्लाई करने वाली कंपनी
एसटीएफ की जांच के घेरे में अजय मिश्रा के एक करीबी की कंपनी आ गई है। यह कंपनी अजय मिश्रा की कंपनी को ओएमआर शीट की सप्लाई करती है। कमीशन की रकम को इस कंपनी के खाते में ट्रांसफर कराया गया था। कंपनी ने बिल भी दिए थे। एसटीएफ अब इस कंपनी के बिल देख रही है। कमीशन की रकम यह कहकर ट्रांसफर कराई गई कि इस कंपनी को भुगतान किया जाना है।
एप्पल मोबाइल एप से ही बात
प्रो. पाठक ने एप्पल मोबाइल के फेस टाइम एप से अजय मिश्रा से बात कराई थी। हर बार इसी एप से बात करने के लिए बोल दिया था। कहा था कि बात करने के बाद कॉल को डिलीट कर देना, जिससे कॉल का कोई रिकॉर्ड न रह जाए।
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