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एसएन मेडिकल कॉलेज आगरा
– फोटो : अमर उजाला
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बीड़ी और तंबाकू का सेवन 10 वर्ष से अधिक समय तक करने वालों में मरीजों को दो से तीन जगह का कैंसर हो रहा है। एसएन मेडिकल कॉलेज के कैंसर रोग विभाग में अध्ययन के बाद यह तथ्य सामने आया है। तीन मरीज ऐसे पाए गए जिनको खाने की नली के साथ दूसरी जगहों का भी कैंसर हो गया।
एसएन मेडिकल कॉलेज के कैंसर रोग विभाग की वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. सुरभि गुप्ता ने बताया कि एक मरीज को खाने की नली के साथ पौरुष ग्रंथी और ब्रेन में भी कैंसर मिला। दो और मरीज सामने आए जिनको खाने की नली के साथ दूसरे जगहों का कैंसर हो गया। खाने की नली का कैंसर ठीक होने के बाद फालोअप में दूसरी जगहों का कैंसर पकड़ में आया। विभाग की डॉ. एश्ना की ओर से मरीजों पर अध्ययन किया गया है। तीनों ही मरीज ऐसे रहे हैं जो लंबे समय से बीड़ी या तंबाकू का सेवन कर रहे थे, जो कि खाने की नली के साथ दूसरों जगहों के भी कैंसर का कारण बना।
ठीक होने के बाद जांच जरूरी
डॉ. सुरभि गुप्ता ने बताया कि बीड़ी या तंबाकू के सेवन की वजह से यदि किसी मरीज को कैंसर होता है और उपचार के बाद वह ठीक हो जाता है तो भी उसे लापरवाही नहीं बरतनी चाहिए। निर्धारित अवधि (चिकित्सक की सलाह के अनुसार) में जांच कराते रहना चाहिए। ऐसे मरीजों को ठीक होने के बाद भी फालोअप के लिए बुलाया जाता है। हर छह माह में क्लीनिकल परीक्षण की सलाह दी जाती है।
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बच्चों को विरासत में देते हैं कैंसर
डॉ. सुरभि गुप्ता ने बताया बीड़ी व तंबाकू का सेवन करने वाले लोग अपने बच्चों को भी विरासत में कैंसर देते हैं। बच्चों को जेनेटिक तौर पर ब्लड कैंसर हो जाता है। बच्चों के भविष्य को देखते हुए भी बीड़ी, तंबाकू आदि के सेवन से बचना चाहिए। कैंसर का पता चलने के बाद करीब 60 फीसदी लोग तंबाकू का सेवन छोड़ देते हैं। करीब 40 फीसदी नहीं छोड़ पाते, इसमें भी 40 से 50 वर्ष के लोग अधिक होते हैं। 60 वर्ष से अधिक उम्र के लोग ज्यादा आसानी से तंबाकू से दूरी बना लेते हैं।
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