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कासगंज। गंगा के जलस्तर में लगातार कमी हो रही है। दो दिन में 20 सेंटीमीटर जलस्तर कम हो गया, लेकिन बाढ़ प्रभावित इलाकों में दुश्वारियां कम नहीं हुई हैं। अभी भी आबादी के इलाकों में पानी भरा हुआ है, लेकिन पानी के स्तर में कमी आई है। खेतों से भी पानी की निकासी शुरू हुई है। बाढ़ के प्रभाव से कई सडक़ें कट गई हैं। बदायूं-मैनपुरी हाईवे पर नगला तरसी, ओमनगरिया आदि इलाकों में सडक़ में बड़े-बड़े गड्ढे हो गए हैं। वहीं, बाढ़ प्रभावित इलाके के लोग विद्युत समस्या का सामना कर रहे हैं। जिले में गंगा की बाढ़ का प्रभाव करीब 60 गांव में पहुंचा, लेकिन गंगा पार के 20 गांव बाढ़ से सर्वाधिक प्रभावित हुए। इन इलाकों में ग्रामीणों को पलायन करना पड़ा। ग्रामीणों का जन जीवन पिछले 10 दिनों से अस्त व्यस्त था। कई बाढ़ प्रभावित इलाकों में बिजली कई दिन से नहीं मिल पा रही। बाढ़ के प्रभाव को देखते हुए बिजली की सप्लाई रोक दी गई, लेकिन रोशनी के वैकल्पिक इंतजाम नहीं किए। लोगों को कैरोसिन भी उपलब्ध नहीं है। बाढ़ प्रभावित गांव नवाबगंज नगरिया, नगला तरसी, खंदारी नगला, इंद्रा जसनपुर, मेहोला खाम, कादरगंजपुख्ता, सिकंदरपुर लव्हेड़, लालूपुर, रसूलपुर, बरी बगवास, नैथरा, भरतपुर, पीतमनगर हरौड़ा, पिलुआ, मेहोला, नरदौली, नगला जयकिशन, नगला हीरा, नगला हंसी सहित आस पास के तमाम गांव ऐसे हैं, जहां विद्युत आपूर्ति ठप है। रात्रि के समय ग्रामीणों को आवागमन में दिक्कतें हैं और सांप बिच्छू आदि का भी खतरा बढ़ गया है। इन गांव की आपूर्ति बाढ़ के कारण बंद कर दी गई, लेकिन केरोसिन का इंतजाम प्रभावित इलाकों में नहीं किया गया। पहले राशन की दुकानों पर केरोसिन मिल जाता था, लेकिन अब केरोसिन नहीं है। लोगों को मोमबत्ती और टॉर्च के सहारे काम चलाना पड़ रहा है। बाढ़ प्रभावित इलाकों में काफी उमस है और मच्छर भी पनप रहे हैं। ऐसी स्थिति में दिक्कतें ही दिक्कतें हैं। ग्रामीणों ने आपूर्ति सही कराने की मांग की है। ग्रामीण राजेंद्र सिंह, संग्राम सिंह, उमेश चंद्र का कहना है कि बाढ़ प्रभावित इलाके में राहत लौटने में अभी समय लगेगा। पानी भरा हुआ है। विद्युत आपूर्ति मिले तो कुछ राहत मिले। बाढ़ के प्रभाव से बदायूं-मैनपुरी हाईवे पर कई दिनों तक बाढ़ का पानी भरा रहा और दूसरे इलाकों की ओर बहता रहा। जिससे नगला तरसी, ओम नगरिया, नगलामुंता के आस पास हाईवे की सडक़ में बड़े बड़े और गहरे गड्ढे हो गए हैं जिससे दुर्घटना का अंदेशा बना हुआ है। वहीं बाढ़ प्रभावित मूंझखेड़ा की सडक़ बाढ़ के शुरूआती दौर में ही कट गई थी जो अभी भी ठीक नहीं है। इसी तरह से नगला तरसी सहित ग्रामीण मार्गों की काफी सडक़ें बाढ़ से कट गई हैं। ग्रामीण भमरपाल, मनीष, रजवीर, सुरेश चंद्र ने बताया कि सडक़ें कटी होने के कारण आवागमन में परेशानियां हैं। पानी निकले तब स्थिति स्पष्ट हो की कहां कहां की सडक़ें अब तक कट चुकी हैं।
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