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कासगंज। गर्मी के मौसम में बिजली का भार बढ़ने से ट्रांसफार्मर हांफ गए। दो माह में 199 ट्रांसफार्मर जवाब दे गए। इससे उपभोक्ताओं को दिक्कतों का सामना करना पड़ा। शहरी क्षेत्र में तो ट्राली ट्रांसफार्मर के माध्यम से लोगों को बिजली की सप्लाई दे दी गई, लेकिन ग्रामीण क्षेत्र के उपभोक्ताओं को कई दिन तक बिजली आने का इंतजार करना पड़ा।
जिले में लगभग 2.25 लाख बिजली उपभोक्ता हैं। गर्मी के मौसम में खपत बढ़ जाती है। अप्रैल माह में पारा 40 डिग्री तक पहुंच गया। मौसम में गर्मी बढ़ते ही लोगों को एसी,कूलर चलाने पड़ गए। जिसके चलते ट्रांसफार्मरों पर लोड बढ़ गया। बिजली निगम ने गर्मी के मौसम के आगमन के हिसाब से पहले से कोई विशेष तैयारी नहीं की। ट्रांसफार्मरों की जर्जर केबलें, तेल की कमी से इनके फुंकने का सिलसिला शुरू हो गया। अप्रैल माह में ही 97 ट्रांसफार्मर फुंक गए। मई माह में शुरू के दिनों में बारिश होने से मौसम में कुछ राहत मिली, लेकिन फिर से सूर्यदेव आग उगलने लगे। इस माह के पहले 20 दिन में 102 ट्रांसफार्मर ओवरलोड से फुंक गए।
वैसे तो ट्रांसफार्मर फुुंकने पर अब जिले में ही वर्कशॉप बन जाने से मरम्मत की व्यवस्था हो गई है, लेकिन जिस हिसाब से ट्रांसफार्मर फुंके उस हिसाब से इनकी मरम्मत होकर वापसी नहीं मिल सकी, जिसका खामियाजा उपभोक्ताओं को उठाना पड़ा। शहरी क्षेत्र के लिए निगम के पास ट्राली ट्रांसफार्मर की व्यवस्था है। वहीं ग्रामीण क्षेत्रों को लंबा इंतजार करना पड़ता है।
15 हजार से अधिक का आता है खर्च
अधीक्षण अभियंता सुरेश चंद्र रावत ने बताया कि ट्रांसफार्मर फुंकने पर 15 से 20 हजार रुपये तक का खर्च आता है। अब जिले में ही मरम्मत की व्यवस्था है। इससे ट्रांसफार्मर बदलने में अधिक समय नहीं लगता। अप्रैल माह से अब तक 199 ट्रांसफार्मर फुंके हैं।
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