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एस्ट्रोटर्फ है, लेकिन मेंटिनेंस नहीं. हाथों में हॉकी स्टिक है, लेकिन फ्लड लाइट नहीं. जहां हॉकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद के नाम पर प्रतिष्ठित टूर्नामेंट होता हो. इसमें शिरकत करने खुद मेजर ध्यानचंद आते हों, वहां मौजूदा समय में खिलाड़ी कई तरह की चुनौतियों से जूझ रहे हैं. इसमें हॉकी के फुल साइज ग्राउंड से लेकर एस्ट्रोटर्फ के मेंटिनेंस की कमी से ये खेल जूझ रहा है.
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सुविधाएं बढ़ें तो हम भी ध्यानचंद बनें
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