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Cyber Crime: खाकी वालों के ही खाते साफ, किसी को नहीं मिली राहत, झांसा देकर पार किए 49 लाख
– फोटो : सोशल मीडिया
विस्तार
उत्तर प्रदेश के आगरा में साइबर अपराधी आमजन ही नहीं, खाकी वालों को भी शिकार बना रहे हैं। ट्रेजरी अफसर होने का झांसा देकर चार सेवानिवृत्त पुलिसकर्मियों से 49 लाख रुपये ठग लिए थे। पुलिस अपने ही कर्मियों को राहत नहीं दे सकी है। एक की भी रकम अब तक वापस नहीं हो सकी है, जबकि रेंज से लेकर जिला साइबर सेल तक मामलों की जांच कर चुकी है।
केस स्टडी-
मैनपुरी के बेवर निवासी राज बहादुर सिंह कालिंदी विहार स्थित नंदा सिटी में रहते हैं। 31 अगस्त 2019 को दरोगा से सेवानिवृत्त हुए। उनसे ट्रेजरी अफसर बनकर निजी जानकारी लेने के बाद खाते से 7.36 लाख रुपये निकाल लिए गए थे।
पुलिस लाइन आवास में रहने वाले रामनरेश विभाग में फालोअर थे। 29 जुलाई 2021 को उनके पास काॅल करके 15 लाख रुपये निकाल लिए गए। मामले में रेंज साइबर थाना में मुकदमा दर्ज हुआ।
अलीगढ़ के रहने वाले सेवानिवृत्त हेड कांस्टेबल के खाते से 26 नवंबर 2020 को काॅल करके जानकारी ली गई। इसके बाद एक लाख रुपये निकाल लिए गए थे। पीड़ित ने मुकदमा दर्ज कराया। रकम वापस नहीं हो सकी।
अग्निशमन विभाग से सेवानिवृत्त हुए फिरोजाबाद निवासी श्रीकिशन को दिसंबर 2020 में साइबर अपराधी ने ट्रेजरी अफसर बनकर काॅल किया। पेंशन जल्दी दिलाने का लालच देकर खाते से 26 लाख रुपये निकाल लिए थे।
निवेश के नाम पर ठगा, जमा कराए 34.93 लाख
फिरोजाबाद के रहने वाले सिपाही को निवेश में मुनाफे का लालच दिया गया था। 34.93 लाख रुपये खाते में जमा करा लिए गए। इसके बाद निवेश कराने वाले के मोबाइल बंद हो गए। एक एप भी था, जिसे बंद कर दिया गया।
झारखंड का गैंग सक्रिय
रेंज और जिला साइबर सेल की जांच में सामने आया कि ठगी करने वाला गैंग झारखंड का है। गैंग सेवानिवृत्त पुलिसकर्मियों का डाटा प्राप्त कर कॉल करता है। इसके बाद ट्रेजरी अफसर बनकर जानकारी ले लेता है। पुलिसकर्मी पेंशन और फंड की रकम जल्दी मिलने के लालच में आकर जानकारी दे देते हैं। आरोपी नेट बैंकिंग के माध्यम से रकम ट्रांसफर कर लेते हैं।
लोकेशन मिलने पर होती गिरफ्तारी
पुलिस आयुक्त डॉ. प्रीतिंदर सिंह ने कहा कि जिला और रेंज साइबर सेल से जांच कराई जाती है। मुकदमे दर्ज किए जा रहे हैं। आरोपियों की लोकेशन मिलने पर गिरफ्तारी की जाती है।
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