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संवाद न्यूज एजेंसी, आगरा
Updated Sun, 14 May 2023 12:20 AM IST
करहल। निकाय चुनाव में प्रदेश स्तर पर चुनाव परिणाम भले ही सपा के लिए माकूल नहीं रहे। लेकिन करहल में समाजवादी पार्टी का दस साल का वनवास खत्म हो गया है। अपनों के कारण हारती आ रही सपा की साइकिल को इस बार उनके सिपहसालार नईम ने दौड़ा दिया है। करहल नगर पंचायत का चेयरमैन पद भले ही सपा के कद के आगे छोटा हो, लेकिन सपा का गढ़ होने के कारण यह जीत बड़ी है। नगर पंचायत करहल के अध्यक्ष पद पर इस बार सपा प्रत्याशी अब्दुल नईम ने जीत हासिल की है। नईम दूसरी बार करहल के चेयरमैन बने हैं। वह पहली बार वर्ष 2000 में चेयरमैन निर्वाचित हुए थे और दिसंबर 2005 तक इस पद पर रहे। यह चुनाव भी नईम ने सपा के टिकट पर ही जीता था। इसके बाद वर्ष 2006 में हुए चुनाव में वीके शर्मा ने सपा के टिकट पर चेयरमैन पद पर जीत दर्ज की। इसके बाद सपा के अपने ही बागी हो गए और पार्टी को गढ़ में ही दस वर्ष तक वनवास काटना पड़ा। सपा से बगावत करके संजीव यादव ने 2012 में निर्दलीय चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। इसके बाद भी उनकी बगावत जारी रही और उन्होंने 2017 में महिला सीट होने के कारण पत्नी सेवनश्री को निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव मैदान में उतारा और जीत हासिल की। वर्ष 2012 और 2017 के चुनाव में गढ़ में ही सपा को हार का सामना करना पड़ा था। अब एक बार फिर 2023 के चुनाव में सपा ने फिर से जीत दर्ज की है।
सैयद फजले का तोड़ा रिकार्ड
नगर पंचायत करहल सीट पर अब तक सिर्फ एक ही प्रत्याशी को दो बार जीत मिली है। सैयद फजले अली 1956 में पहली बार चेयरमैन चुने गए।
एक चुनाव बाद उन्होंने पुन: जीत दर्ज की। इसके बाद कोई भी प्रत्याशी करहल नगर पंचायत सीट पर दो बार चेयरमैन नहीं बना। इस रिकार्ड को अब्दुल नईम ने तोड़ा है। उन्होंने वर्ष 2000 में जीत दर्ज करने के साथ ही इस बार पुन: जीत दर्ज की है।
पति-पत्नी रहे अध्यक्ष
नगर पंचायत करहल में दो बार चेयरमैन बनने का अवसर सिर्फ सैयद फजले अली और अब अब्दुल नईम को जरूर मिला, लेकिन सगे संबंधी पहले भी चुनाव जीत चुके हैं। वर्ष 2012 में निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में संजीव यादव ने जीत दर्ज की। वह दूसरा चुनाव लड़ने की तैयारी में थे, लेकिन सीट महिला हो गई। इस पर उन्होंने वर्ष 2017 के चुनाव में सेवनश्री पत्नी को मैदान में उतारा और जीत दर्ज की।
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