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कासगंज। जिले में गेहूं की खरीद का शो फ्लॉप हो रहा है। गेहूं की खरीद के लिए 53 केंद्र बने हुए हैं, लेकिन अभी तक एक प्रतिशत गेहूं की खरीद भी नहीं हो सकी है। बाजार में सरकारी भाव कम होने के बाद भी किसान का रुझान क्रय केंद्रों की ओर नहीं हो पा रहा। यदि यही हाल रहे तो इस साल भी सरकारी गोदाम खाली रह जाएंगे।शासन से सरकारी गेहूं की खरीद के लिए 2125 रुपये क्विंटल समर्थन मूल्य निर्धारित किया गया है। एक अप्रैल से खरीद शुरू कराई गई। मौसम की मार के चलते समय से गेहूं तैयार नहीं हो सका। जिससे 10 दिनोंं तक न तो बाजार में ही गेहूं आया और न हीं सरकारी केंद्रों पर। एक पखवाड़े पहले सरकारी केंद्रों पर गेहूं की आवक शुरू तो हो गई, लेकिन यह अभी तक रफ्तार नहीं पकड़ पा रही।
जिले में चार एजेंसियों ने 53 केंद्रों खरीद के लिए निर्धारित किए हैं। शासन से 53 हजार मीट्रिकटन गेहूं की खरीद का लक्ष्य दिया गया है। यदि जिले में अभी तक गेहूं की खरीद की बात की जाए तो मात्र मात्र 389.288 मीट्रिकटन गेहूं की ही अभी तक खरीद हुई है। जो लक्ष्य का मात्र 0.73 प्रतिशत ही है।
बाजार में इस समय गेहूं का भाव अधिकतम 2090 रुपये प्रति क्विंटल चल रहा है। जो सरकारी खरीद के भाव से 35 रुपये क्विंटल कम है। इसके बाद भी किसान का रुख खरीद केंद्रों की ओर नहीं हो रहा। किसानों का मानना है कि बाजार में भाव भले ही कुछ कम मिल रहे हैं। सरकारी केंद्रो पर गेहूं बेचने की अपेक्षा बाजार में गेहूं की बिक्री आसानी से हो जती है। सरकारी केंद्रों पर तमाम झंझट होते हैं। पहले किसान को रजिस्ट्रेशन कराना पड़ता है। वहीं भुगतान भी समय से नहीं मिल पाता।
भारतीय खाद्य निगम ने नहीं खरीदा एक भी दाना
कासगंज।जिले में गेहूं की खरीद चार एजेंसियां कर रही है। इनमें भारतीय खाद्य निगम की स्थित सबसे खराब है। इस एजेंसी को 1300 मीट्रिकटन का लक्ष्य दिया गया है, लेकिन इसमें से एक दाना भी गेहूं एजेंसी ने नहीं खरीदा है। मंडी समिति की स्थिति भी खराब है। इस एजेंसी को 1200 मीट्रिकटन गेहूं की खरीद करनी है, लेकिन अभी तक 1 मीट्रिकटन गेहूं की ही खरीद इस एजेंसी ने की है। खाद्य विभाग एवं पीसीएफ की खरीद की स्थिति अच्छी नहीं है।
जिले में गेहूं की फसल की आवक देर से हो पाती है। अभी गेहूं खरीद की गति काफी धीमी चल रही है, लेकिन खरीद को बढ़ाने के लिए प्रयास किए जा रहे हैँ- घासीराम, ्रपभारी डीआरएमओ
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