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मैनपुरी। प्रदेश और केंद्र की सत्ता में काबिज कांग्रेस अब शहर की गद्दी पर भी भगवा फहराने को बेताब है। मोदी और योगी की जन कल्याणकारी योजनाएं के सहारे भगवा फहराने के लिए भाजपा का विजय रथ निकल पड़ा है। लेकिन जिले के तीन निकायों में भाजपा के बागी नेता इस विजय रथ की रफ्तार को थाम सकते हैं। भाजपा में भी इसे लेकर बेचैनी है। हर संभव कोशिश के बाद भी भाजपा की ये अड़चन दूर नहीं हो पा रही है। जिले में नगर पालिका परिषद समेत कुल दस नगर निकायों के लिए चुनाव हो रहा है। नौ नगर निकायों में से सात में जहां भाजपा पहले से काबिज है, वहीं नगर पंचायत बरनाहल में पहली बार चुनाव हो रहा है। ऐसे में भाजपा सभी दस नगर निकायों में विजय पताका फहराने के लिए बेताब है। इसके लिए भाजपा के पास केंद्र और राज्य सरकार द्वारा संचालित की जा रही योजनाओं का सहारा है। इन्हीं योजनाओं को लेकर भाजपा का विजय रथ जनता के बीच जा रहा है।
लेकिन टिकट न मिलने के चलते भाजपा से बागी हुए नेता भाजपा और विजय के बीच रोड़ा बन गए हैं। नगर पंचायत भोगांव, कुसमरा और करहल में ये बागी निर्दलीय ही ताल ठोंक रहे हैं। नगर पंचायत भोगांव में जहां भाजपा प्रत्याशी नेहा तिवारी के सामने पूर्व चेयरमैन उपमा दीक्षित मैदान में हैं तो वहीं कुसमरा में निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में भाजपा नेता आलोक अग्निहोत्री मैदान में हैं।
वहीं करहल में मुकाबला और भी दिलचस्प है। यहां से निवर्तमान चेयरमैन सेवनश्री के पति संजीव यादव निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में मैदान में है। भाजपा ने करहल में सचिन वर्मा को प्रत्याशी बनाया है। ऐसे में तीनों ही निकायों में भाजपा के विजय रथ की रफ्तार कहीं न कहीं बागियों के कारण थमना तय है।
प्रतिद्वंद्वियों को मिल सकता है लाभ
भोगांव, कुसमरा और करहल में भाजपा प्रत्याशियों के विरोध में बागी नेता निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ रहे हैं। ऐसे में कहीं न कहीं भाजपा प्रत्याशी और बागी प्रत्याशी का वोट बैंक एक ही है। ये वोट बैंक बटने से प्रतिद्वंद्वियों को इसका फायदा हो सकता है। कुसमरा और भोगांव में जहां निवर्तमान चेयरमैन सपाई हैं तो वहीं करहल में निवर्तमान चेयमैन भाजपा समर्थित थीं।
रूठों को मनाने का काम करेगी भाजपा
भाजपा के जिलाध्यक्ष प्रदीप सिंह चौहान से जब बात की गई तो उन्होंने रूठों को मनाने की बात कही। उन्होंने कहा कि अंतिम दिन में रूठे हुए कार्यकर्ताओं को मनाने का प्रयास किया जाएगा और पार्टी इसमें सफल भी होगी। जो भाजपा के प्रत्याशी हैं वे जीत दर्ज करेंगे। इसके बाद भी अगर को निजी महत्वाकांक्षा के लिए चुनाव लड़ता है तो भाजपा का इस पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।
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