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मैनपुरी। जिलेभर में इस समय गेहूं कटाई और मड़ाई चल रही है। गेहूं कटाई के बाद भूसे के कण वातावरण में फैले हुए हैं। इसके चलते जिन लोगों को भूसे से एलर्जी हैं, उन्हें खांसी और दमा की शिकायत हो रही है। जिला अस्पताल की ओपीडी में रोजाना करीब 70 से 80 मरीज दमा के आ रहे हैं। एक सप्ताह में आठ मरीजों की मौत हो चुकी है, वहीं 200 से अधिक को भर्ती कराया गया है।
जिले में गेहूं की कटाई और मड़ाई का काम जोरों पर चल रहा है। भूसे में मिट्टी के साथ अन्य कई प्रकार के पौधों के कण भी मिले होते हैं, जिसकी वजह से वह कण काम करते वक्त व्यक्ति के फेफड़ों तक पहुंच रहे हैं। इस कारण खांसी के साथ ही एलर्जी से लोग बेहाल हो रहे हैं। मौजूदा समय में जिला अस्पताल की ओपीडी में रोजाना करीब 70 से 80 मरीज दमा और खांसी का उपचार कराने आ रहे हैं। जिला अस्पताल में दर्ज रिकार्ड के अनुसार पिछले एक सप्ताह में दमा से पीड़ित आठ मरीजों की मौत हो चुकी है, जबकि 30 मरीज गंभीर हालत में रेफर किए गए हैं। यहीं नहीं 200 से अधिक मरीज भर्ती कराए जा चुके हैं।
इन बातों को रखें ख्याल
-गेहूं की कटाई के समय मास्क या गमछे का प्रयोग करें
-धूप में अधिक देर तक कटाई न करें
-गेहूं की मड़ाई के समय भूसे की धुंध से बचाव करें
-कमरे या कूप में भूसा डालते समय अधिक देर तक न रुकें
-जरा भी दिक्कत होने पर विशेषज्ञ डॉक्टर से उपचार लें
दमा के लक्षण
-बार-बार खांसी आना
-सांस लेते समय सीटी जैसी आवाज आना
-छाती में जकड़न और भारीपन होना
-बेचैनी होना
-खांसी के साथ बलगम आना
खान-पान पर रखें ध्यान
जिला अस्पताल के चेस्ट फिजीशियन डॉ. धर्मेंद्र कुमार बताते हैं कि दमा के मरीज अपने खान-पान पर विशेष ध्यान दें। दमा के मरीजों को गेहूं, पुराना चावल, मूंग, कुल्थी, दाल, आदि का सेवन करना चाहिए। इसके अलावा उन्हें अपने आहार में हरी पत्तेदार सब्जियों को शामिल करना चाहिए। इसके अलावा पालक और गाजर के रस को दमा में काफी फायदेमंद माना जाता है। मरीजों को अपने आहार में लहसुन, अदरक, हल्दी और काली मिर्च को भी जरूर शामिल करना चाहिए।
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