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किशनी।
नगर पंचायत के खड़ेपुर में संचालित गोशाला में संरक्षण नहीं मिल पा रहा है। 90 गोवंशों की क्षमता वाली गोशाला में 207 गोवंश भर दिए गए हैं। अधिकारी गोशाला का निरीक्षण करने आते हैं, लेकिन उन्हें दर्द नजर नहीं आता है।
छुट्टा गोवंशों को संरक्षित करने के लिए नगर पंचायत किशनी द्वारा खड़ेपुर में गोशाला का संचालन किया जा रहा है। गोवंशों के लिए शेड और नाद भी बनी हुई हैं। लेकिन हाल यह है कि लगातार छुट्टा गोवंशों को लाकर इसी गोशाला में डंडे के दम पर ठूंस दिया जाता है। इसके चलते क्षमता से दोगुने से भी अधिक कुल 207 गोवंश गोशाला में हो गए हैं।
धूप से बचने के लिए जब ये गोवंश शेड में पहुंचते हैं तो यहां जगह कम पड़ जाती है। आपस में ही गोवंश लड़ते रहते हैं, जिससे गोवंश घायल भी हो जाते हैं। अधिकारी और कर्मचारी गोशाला का निरीक्षण करने पहुंचते हैं, लेकिन उन्हें ये समस्या नजर नहीं आती है। गोवंश यहां बदतर हालात में जी रहे हैं, लेकिन उनकी चीख भी गोशाला में ही दबकर रह जाती है।
चारे के लिए लड़नी पड़ती है जंग
क्षमता से दोगुने गोवंश होने के चलते चारे के लिए भी गोशाला में एक जंग ही लड़नी पड़ती है। हाल ये है कि नाद कम होने के कारण जब चारा दिया जाता है तो कमजोर गोवंशों को सांड़ मारकर अलग कर देते हैं। ऐसे में कमजोर को भूखा ही रहना पड़ता है। कई बार इसमें गोवंश घायल भी हो जाते हैं।
रोजाना भेजे जा रहे गोवंश
सड़कों पर घूम रहे छुट्टा गोवंशों को पकड़ने के लिए फिर एक बार अभियान शुरू हो गया है। नगर पंचायत द्वारा पकड़े जा रहे गोवंश इसी गोशाला में भेजे जा रहे हैं। पहले से ही क्षमता से अधिक गोवंश यहां रखे गए हैं। ऐसे में नगर पंचायत नई गोशाला शुरू कराने या अस्थाई गोशाला बनाने की बजाए इसी गोशाला में गोवंश भेज रही है। इससे हालात और बिगड़ते जा रहे हैं।
-90 है गोशाला की क्षमता
-207 गोवंश हैं संरक्षित
-90 है नंदी की संख्या
-110 हैं गायों की संख्या
-07 है बच्चों की संख्या
शासन के निर्देश के बाद छुट्टा गोवंशों को संरक्षित किया जा रहा है। क्षमता से अधिक जो गोवंश हैं उन्हें ग्रामीण क्षेत्र की गोशालाओं में भेजा जाएगा।
-आरएन वर्मा, एसडीएम किशनी।
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