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ऑटिज्म की ओर से सेमिनार को संबोधित करती डॉ रेनू तिवारी
– फोटो : अमर उजाला
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विश्व ऑटिज्म जागरूकता दिवस पर रविवार को आध्यांत फाउंडेशन की ओर से आगरा में भोगीपुरा स्थित संस्था के कार्यालय में कार्यशाला आयोजित की गई। इसमें ऑटिज्म से पीड़ित बच्चों के अभिभावकों को जागरूक किया गया। उन्हें समझाया गया कि ऑटिज्म दिमाग की एक अवस्था है, बीमारी नहीं। ऐसे बच्चों को मंदबुद्धि नहीं समझना चाहिए। बच्चों के साथ उचित व्यवहार जरूरी है।
फाउंडेशन की निदेशक डॉ. रेनू तिवारी ने कहा कि ऑटिज्म के बच्चों को थेरेपी व अभिभावकों को प्रशिक्षण देने के साथ समाज को जागरूक करना बेहद जरूरी है। सेंट जोंस कालेज के मनोविज्ञान विभाग की डॉ. प्रियंका मैसी ने अभिभावकों को ऑटिज्म के कारण, लक्षण व इलाज के बारे में जानकारी दी। अभिभावकों के सवालों के जवाब भी दिए। ऑटिज्म की वजह वंशानुगत के साथ खानपान के माध्यम से शरीर में लेड की अधिकता, मोबाइल टॉवरों से पर्यावरण में बढ़ती इलेक्ट्रोमैग्नेटिंग तंरगों का प्रदूषण आदि है। कार्यक्रम में चतुरा देवी, रंजीत सामा, प्रमोद वर्मा, पंकज तिवारी, जेएस इंदौलिया, सतेंद्र तिवारी, संजय दुबे, धीरज आदि मौजूद रहे।
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ऑटिज्म के लक्षण बताए
बच्चे के नाम से पुकारने पर पलटकर न देखना, अन्य बच्चों के साथ न घुलना-मिलना, उत्तेजित होने पर हाथ हिलाना व कूदना, पंजे पर चलना। जिद्दी और गुस्सैल होना, देर से बोलना। शोर सुनने पर अपने कानों पर हाथ रख लेना, किसी वस्तु के लिए अंगुली से इशारा करने के बजाय अन्य व्यक्ति के हाथों को उस ओर ले जाना, खिलौनों से खेलने के बजाय उन्हें लाइन से लगाते रहना या पहिया घुमाना। खिलौनों को मुंह में डालना, खाने पीने की वस्तुओं को इस्तेमाल करने से पहले सूंघना।
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