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कासगंज। जनपद में प्राकृतिक 1700 हेक्टेयर भूमि को प्राकृतिक खेती के लिए चयन किया गया। प्राकृतिक खेती से लोगों की सेहत के साथ-साथ खेतों की मिट्टी की सेहत भी सुधरेगी। प्रदूषण और रासायनिक खादों से फसलों का बचाव हो सकेगा। इसके लिए 1900 चयनित किसानों प्रशिक्षण दिए जाने की योजना है।
प्राकृतिक खेती के लिए गंगा के तराई क्षेत्र को भूमि को चयनित किया गया है। ताकि, गंगा के किनारे प्रदूषण को कम किया जा सके। जब खेतों में रसायनिक खादों और कीटनाशकों का प्रयोग कम होगा तो गंगा की तराई और गंगा को भी प्रदूषित होने से बचाया जा सकेगा। इसके लिए तराई क्षेत्र में 50-50 हेक्टेयर के 34 क्लस्टर तैयार किए हैं। लगभग 1700 हेक्टेयर भूमि में पहले चरण में प्राकृतिक खेती होगी। इसके बाद योजना सफल होने पर आगे बढ़ाई जाएगी। इसके लिए जनपद में 1900 किसानों को चयनित कर प्रशिक्षित किया जा रहा है। किसानों को फसल चक्र के अनुसार अर्थात रबी, जायद और खरीफ तीनों फसलों के लिए प्रशिक्षण दिए जाने की योजना है। कृषि विभाग के कर्मी किसानों को गांव गांव जाकर प्रशिक्षित कर रहे हैं।
सेहत के लिए होंगी अच्छी और दाम में मिलेगा बेहतर
प्राकृतिक खेती में रासायनिक खाद एवं कीटनाशक आदि का प्रयोग नहीं किया जाएगा। जिससे प्राकृतिक खेती से उगाई गई फसलें शुद्ध होंगी। इनके प्रयोग से सेहत में सुधार होंगी और रासायनिक खेती से प्राप्त फसलों से होनी वाली बीपी, कैंसर, मधुमेह जैसे अन्य बीमारियों का खतरा भी कम होगा। प्राकृतिक खेती से प्राप्त फसलों के दाम भी बाजार में अधिक मिलते हैं। वर्जन: प्राकृतिक खेती के लिए 1900 किसानों को प्रशिक्षण दिया जा रहा है। हर फसल के लिए अलग अलग प्रशिक्षण दिया जाना है। गंगा की तराई में भूमि का चयन किया गया है। – सुमित कुमार चौहान, जिला कृषि अधिकारी।
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