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मैनपुरी। पंडित जवाहर लाल नेहरू स्टेडियम में एक करोड़ की लागत से स्थापित किए गए कुश्ती हॉल को 13 साल बाद भी प्रशिक्षक नहीं मिल सका है। खेल को बढ़ावा देने के लिए शासन और खेल निदेशालय काम कर रहा है। भवन निर्माण के बाद प्रशिक्षकों की तैनाती पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है। प्रशिक्षकों के अभाव में करोड़ों की लागत से बना भवन धूल फांक रहा है।
13 साल पहले नगर के पंडित जवाहर लाल नेहरू स्टेडियम में एक करोड़ की लागत से कुश्ती हॉल का निर्माण कार्य कराया गया था। आधुनिक सुविधाओं से लैस इस कुश्ती हॉल के बनने पर जनपद के पहलवानों ने खुशी जाहिर की थी। लेकिन बीते 13 सालों में इस कुश्ती हॉल के लिए शासन और खेल विभाग को कोई प्रशिक्षक नहीं मिला। इसके चलते ये कुश्ती हॉल बदहाल होता जा रहा है। यहां 13 साल बाद भी न तो शासन और न ही खेल निदेशालय कोच की व्यवस्था कर सका। नतीजा यह है कि अब कुश्ती हॉल को बंद कर दिया गया है। यहां पिछले 13 साल से ताला लटका हुआ है।
बिना कोच के कैसे मिल सकती उच्च स्तरीय सफलता
मैं स्वयं राष्ट्रीय स्तर पर आयोजित कुश्ती में रजक पदक जीत चुका हूं। जिले में पहलवानों की कमी नहीं है। लेकिन बिना कोच के उनकी प्रतिभा का निखार कैसे हो सकता है। मुझे भी नेशनल तक खेलने का मौका मिला, लेकिन कोच की कमी खली। यदि कोच से बेहतर प्रशिक्षण मिला होता तो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी पहुंचना कठिन नहीं था।
-धर्मराज, पहलवान।
कोच की तैनाती हो तो बने बात
कुश्ती के क्षेत्र में जनपद में प्रतिभाओं की कमी नहीं है। श्रीदेवी मेला एवं ग्राम सुधार प्रदर्शनी में कई बार प्रदेश स्तर से आए पहलवानों को जनपद के पहलवानों ने मात दी। यदि उन्हें अच्छा कोच मिल जाए तो निश्चित ही वे जनपद का नाम देश और प्रदेश में करने का कार्य करेंगे।
-रमित कुमार, पहलवान कुसमरा।
कई बार लिखी चिट्ठी नहीं मिला कोई जवाब
कुश्ती के कोच के लिए कई बार निदेशालय का चिट्ठी भेजी गई। लेकिन तैनाती को लेकर कोई जवाब नहीं दिया गया। एक बार फिर से पत्र लिखा जा रहा है। वैसे जनपद में कुश्ती में रुचि रखने वाले बहुत हैं यदि कोच मिले तो निश्चित ही प्रदेश और राष्ट्र स्तर की प्रतिभाएं निकलकर आएंगीं।
-सुनील कुमार, प्रभारी जिला क्रीड़ा अधिकारी।
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