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मिर्गी आने के कारण और इलाज
– फोटो : istock
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मिर्गी की बीमारी पर तमाम भ्रांतियां हैं, जिससे रोग की गंभीरता बढ़ रही है। अपील की जा रही है कि मिर्गी का दौरा पड़ने पर जूता-चप्पल और प्याज कतई न सुंघाएं। विश्व मिर्गी दिवस पर सोमवार को एसोसिएशन फिजीशियंस ऑफ इंडिया और इंडियन एपिलेप्सी सोसाइटी की वेबिनार में देश-विदेश के 400 से अधिक चिकित्सक जुड़े।
इसमें आगरा से वरिष्ठ न्यूरो फिजीशियन प्रो. पीके माहेश्वरी ने कहा कि ये बीमारी उच्च रक्तचाप और मधुमेह से कम खतरनाक है। नियमित उपचार से 3 से 5 साल में 75 फीसदी मरीज ठीक हो रहे हैं। सबसे बड़ी बाधा भ्रांतियां हैं। अभी भी सभी मरीज चिकित्सकों के पास नहीं आ रहे। एम्स की डॉ. मंजरी त्रिपाठी ने कहा कि मिर्गी ठीक होने वाली बीमारी है, लेकिन लोग जागरूक नहीं है। अभी भी लोग झाड़फूंक करवाते हैं। डॉ. एमएम मेंहदीरत्ता, डॉ. सतीश चंद्रा, डॉ. संगीता रावत, डॉ. गगनदीप ने भी व्याख्यान दिए।
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अलग है मिर्गी रोग
दुनियाभर में मिर्गी का सामान्य कारण सिर में चोट लगना है, जबकि भारत में इसका प्रमुख कारण न्यूरोसाइस्टिसरोसिस (तंत्रिका तंत्र का परजीवी रोग) है। माइग्रेन, स्ट्रोक और अल्जाइमर के बाद यह सबसे आम न्यूरोलॉजिकल रोगों में से एक है। मिर्गी के रोगियों को चिकित्सक की सलाह के अनुसार दवाई लेनी चाहिए। पर्याप्त व्यायाम, स्वस्थ आहार का ध्यान रखकर पर्याप्त नींद लेनी चाहिए।
इन बातों का रखें ख्याल:
– मिर्गी का दौरा पड़ने पर करवट के बल मरीज को लिटाएं।
– मुंह में चम्मच न लगाएं, हाथ-पैरों को न पकड़ें।
– दौरा पड़ते वक्त मरीज का वीडियो बनाकर डाॅक्टर को दिखाएं।
– मिर्गी के रोगी देर रात तक न जागें।
– चाऊमीन समेत चायनीज भोजन न खाएं।
– वाहन न चलाएं, तैराकी भी न करें।
– दवाओं का नियमित सेवन करें, इसे बंद न करें।
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