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साइकिल सिर्फ सफर तय करने का जरिया ही नहीं, बल्कि इससे भावनात्मक जुड़ाव भी होता है. मुझे अब भी अपनी पहली साइकिल याद है. जब बचपन में पैरेंट्स ने दिलवाई थी. तब से साइकिल के पैडल घुमाने का दौर अब तक जारी है. साइकिलिंग से जुड़े अपने एक्सपीरियंस शेयर करते हुए एडीए उपाध्यक्ष चर्चित गौड़ ने कहा कि आज भी जब समय मिलता है, मैं साइकिलिंग करने का मौका नहीं छोड़ता. साइकिलिंग न सिर्फ खुद को फिट रखने में मददगार है, बल्कि शहर की आबोहवा सुधारने में भी ये कारगर है.
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साइकिलिंग करें, अपने साथ शहर की सेहत भी सुधारें
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