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आगरा पुलिस की गाड़ी (सांकेतिक तस्वीर)
– फोटो : अमर उजाला
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आगरा में थाने के बाहर पुलिसकर्मियों की मौजूदगी में विवाद के दौरान ग्रामीण को गोली मारकर घायल किया गया। हत्या के प्रयास समेत अन्य धाराओं में दर्ज अभियोग में पुलिस खुद वादी बनी। इसके बावजूद आरोपी के विरुद्ध साक्ष्य पेश नहीं कर सकी। गवाहों के बयानों में विरोधाभास और सुबूत के अभाव में अपर जिला जज नीरज गौतम ने आरोपी अजीत चाहर को बरी कर दिया।
यहां का है मामला
मामला एक मई 2018 का है। निरीक्षक ऋृषि कुमार ने मलपुरा थाने में अभियोग दर्ज कराया था। पुलिस गांव बरारा के प्रधान पति योगेश बघेल के अलावा भागीरथ और उनकी पुत्री को थाने लाई थी। पीछे से ग्राम प्रधान सीमा सिंह 45-40 समर्थकों के साथ थाने पहुंच गईं। भागीरथ और योगेश के बीच बातचीत हो रही थी। इसी दौरान गांव बरारा का रहने वाला अजीत चाहर अपने छह साथियों के साथ गाड़ी से पहुंचा।
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हाथापाई के दौरान चली गोली
अजीत चाहर भागीरथ का पक्ष लेकर गाली-गलौज करने लगा। दोनों पक्ष पुलिस के सामने भिड़ गए, झगड़ा करते सड़क पर आ गए। पुलिसकर्मी अरविंद से हाथापाई की। इसी दौरान गोली चलने से धर्मवीर घायल हो गया। धर्मवीर ने अजीत चाहर पर गोली मारने का आरोप लगाया। पुलिस की ओर से दर्ज अभियोग में अजीत चाहर, योगेश बघेल उनकी पत्नी सीमा सिंह, भागीरथ और बृजभान को आरोपी बनाया गया था।
कोर्ट ने दिया ये आदेश
विवेचना में पुलिस ने अजीत चाहर के अलावा अन्य आरोपियों पर से जानलेवा हमले की धारा हटा दी। उनकी पत्रावली अभी अवर न्यायालय में विचाराधीन है। आरोपी अजीत चाहर का विचारण सेशन कोर्ट में किया गया। अभियोजन ने 13 गवाह पेश किए। इनमें अधिकांश गवाह पुलिस के थे।
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