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आगरा: (ब्यूरो) भइया, मेरी किताबों की दुकान है. मुझे एनसीईआरटी की बुक्स के सेट चाहिए, आर्डर बड़ा है. किताबें कब तक मिल जाएंगी. अरे….आर्डर बड़ा है. इसका क्या मतलब? आप 5 लाख किताबों का आर्डर दीजिए, तब भी एक किताब नहीं मिल सकती बाजार में. यह स्थिति है आगरा में एनसीईआरटी की बुक्स की अबेलेबिलिटी की. दैनिक जागरण आईनेक्स्ट की टीम ने शहर के अलग-अलग हिस्सों में एक-दो नहीं करीब 10 दुकानों पर एनसीईआरटी की बुक्स के अबेलेबिलिटी का परीक्षण किया, किंतु एक भी दुकान पर एनसीईआरटी की एक भी किताब नहीं मिली. दुकानों पर पेरेंट्स परेशान खड़े थे. वहीं, दूसरी ओर इन मजबूर पेरेंट्स को निवाला बनाने के लिए पूरा मार्केट सज गया. सैकड़ों प्राइवेट पब्लिशर्स की किताबें बाजार में हैं और स्कूल्स की ओर से रिकमंड किया जा रहा है कि फलां दुकान से फलां पब्लिशर्स का सिलेबस ही खरीदकर लाएं. और कीमत में फर्क 7 गुना तक. मार्केट में हैं नहीं, कहां जाएं?
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