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रबर डैम बनाने के लिए नगला पैमा में 25 और गढ़ी चांदनी गांव में 288 पेड़ काटे जाने हैं। सिंचाई विभाग के अधिशासी अभियंता सौरभ शरद गिरी के अनुसार सुप्रीम कोर्ट से अनुमति मिलने के बाद ही काम आगे बढ़ पाएगा।
पर्यावरणविदों का कहना है कि टीटीजेड पर्यावरण दृष्टि से संवेदनशील होने के कारण सर्वोच्च न्यायालय से अनुमति मिलना मुश्किल है। इससे पहले मेट्रो प्रोजेक्ट के लिए भी फतेहाबाद रोड से लेकर शाहजहां गार्डन तक पेड़ काटे गए थे। कई पेड़ों को एक जगह से दूसरी जगह प्रत्यारोपित भी किया गया। जितने पेड़ काटे गए, उनके बदले पेड़ लगाने का काम अभी अधूरा है। इसके लिए मेट्रो ने वन विभाग को बजट भी उपलब्ध कराया था, फिर भी नए पेड़ नहीं लगे हैं।
रिवर कनेक्ट कैंपेन के संयोजक ब्रज खंडेलवाल ने बताया कि जीवनदायिनी कालिंदी में साल के 10 महीने पानी कम रहता है। रबर डैम बनेगा तो यमुना में पानी भी बढ़गा। पानी बढ़ने से ताजमहल की नींव को फायदा होगा, प्रदूषण से भी यमुना को मुक्ति मिलेगी। सात साल से नियमित यमुना मैया की आरती इसलिए कर रहे हैं कि जलधारा लौटे। यमुना को प्रदूषण से मुक्ति मिले। नदी में 12 महीने पानी रहे।
सिविल सोसायटी के अध्यक्ष अनिल शर्मा ने कहा कि सिविल एन्कलेव का काम भी जल्द पूरा होना चाहिए। पर्यटन नगरी में रोजगार की नई संभावनाएं भी विकसित होंगी। सिविल एन्क्लेव आगरा की सबसे बड़ी जरूरत है। दुनियाभर से पर्यटक यहां आते हैं। सिविल एन्क्लेव बनने से पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा। हर साल आगरा में लाखों पर्यटक आते हैं। शहर की छवि भी बदलेगी।
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