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कासगंज। गंगा किनारे से 5 किलोमीटर के दायरे में आने वाले ग्रामीण इलाकों में नमामि गंगे योजना के तहत किसानों को जैविक खेती से जोड़ा जा रहा है। अब तक 1940 किसान जुड़कर कर अमृत पानी एवं बीजामृत तैयार कर जैविक खेती को भी कर रहें हैं। ये तरल खाद फसलों के लिए वरदान साबित हो रही है। गंगा किनारे मौजूद 40 से 42 गांवों में यह अभियान चल रहा है। इसके साथ 1700 हेक्टेयर क्षेत्रफल में किसान जैविक खेती कर रहे है। शासन की मंशा है कि जैविक खेती के माध्यम से तैयार होने वाले उत्पादों का निर्यात करके किसान आर्थिक रुप से मजबूत हो सकते हैं। गंगा किनारे के गांव में जैविक खेती होगी तो गंगा में रासायनिक उर्वरकों का प्रभाव नहीं पहुंचेगा। इससे पर्यावरण का भी लाभ पहुंचेगा।
जिले में जैविक खेती की दिशा में डब्ल्यूडब्ल्यूएफ (वर्ल्ड वाइल्ड लाइफ फंड) पहले से ही सक्रिय थी और वह लगातार गांव में पहुंचकर किसानों को जैविक खेती से जोड़ रही थी। अब नमामि गंगे योजना के तहत उत्तर प्रदेश कृषि विविधिकरण परियोजना विभाग बंगलुरु की संस्था इकोआ के साथ जैविक खेती के अभियान को गति दे रही है। किसानों को जैविक खेती के लिए प्रशिक्षित किया जा रहा है। और उन्हें बीजामृत, जीवामृत और अमृत पानी तैयार करने की विधि भी बताई जा रही है।
रासायनिक उर्वरकों से मुक्त खेती के माध्यम से कई लाभ भी हो रहे हैं। एक तो भूमि की उर्वराशक्ति सही होगी दूसरा पर्यावरण में भी सुधार होगा, वहीं मानव को रसायन मुक्त खाद्यान्न मिलेगा और पशुओं को रसायनमुक्त चारा मिल सकेगा। इससे सेहत में सुधार भी होगा। जैविक प्रक्रिया के माध्यम से खेती की लागत भी कम आती है और सिंचाई में पानी कम लगाना पड़ता है और जैविक खेती से भूमि के जलस्तर में भी सुधार होता है। जिला परियोजना समन्वयक डॉ. आदित्य कुमार बताते हैं कि प्रदेश में गंगा किनारे के 27 जिलों को नमामि गंगे योजना में शामिल किया गया है। जिसमें सबसे बेहतर कार्य जिले में हो रहा है जो प्रदेश में पहले स्थान पर है। जैविक खेती के प्रति किसानों का रुझान भी है।
ऐसे तैयार करें अमृत पानी
कासगंज। 500 ग्राम शहद के साथ 10 किलो गाय के गोबर को मिलाकर लकड़ी से तब तक फेंटे जब तक वह पेस्ट जैसा न हो जाए। इसके बाद इसमें 250 ग्राम गाय का देशी घी मिलाकर तेजी से मिलाएं। 200 लीटर पानी में मिलाकर घोल लें। इस घोल को एक एकड़ जमीन पर छिडक़ दें। सिंचाई वाले पानी के साथ फैला दें। 30 दिनों के बाद दूसरी खुराक के रूप में पौधों की कतारों के बीच में छिडक़ें या सिंचाई वाले पानी के साथ फैला दें।
ऐसे तैयार करें जीवामृत
कासगंज। 10 किलोग्राम गाय का गोबर, 10 लीटर गोमूत्र, 2 किलोग्राम गुड़, किसी दाल का आटा, 1 किलोग्राम जीवंत मृदा को 200 लीटर जल में मिलाकर 5-7 दिन के लिए सड़ने दें। नियमित रूप सेे दिन में तीन बार मिश्रण को हिलाते रहें। एक एकड़ क्षेत्र में सिंचाई जल के साथ प्रयोग करें।
– जिले में जैविक खेती की दिशा में कार्य किया जा रहा है। जिन किसानों को जैविक खेती से जोड़ा गया है उन्हें प्रशिक्षण दिया जा रहा है। जैविक खेती से जुड़े किसानों को ए, बी, सी श्रेणी के सर्टिफिकेट भी दिए जा रहे हैं।- सचिन, सीडीओ।
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