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आगरा किला और दाराशिकोह की लाइब्रेरी
– फोटो : अमर उजाला
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नगर निकाय चुनाव में शहर की सरकार को फिर से चुनने का वक्त आ गया है। ब्रिटिश राज में नार्थ वेस्ट प्रोविंस की राजधानी रहे आगरा में 159 साल पहले शहर की सरकार बनाई गई, जिसे आगरा म्यूनिसिपलिटी का नाम दिया गया। वर्ष 1863 में आगरा म्यूनिसिपलिटी का कार्यालय आगरा किला में बनाया गया, जिसे वर्ष 1900 में शिफ्ट कर मोतीगंज स्थित दाराशिकोह की लाइब्रेरी में लाया गया। आगरा किले से मोतीगंज और फिर 1960 के दशक में नगर पालिका का कार्यालय एमजी रोड पर शिफ्ट किया गया। इन 159 सालों में शहर की सरकार तीन जगहों से चली है।
ब्रिटिश राज में वर्ष 1863 में म्यूनिसिपलिटी के गठन के समय मजिस्ट्रेट ही बोर्ड के अध्यक्ष होते थे। शुरूआत में इसके सभी सदस्य सरकारी थे, लेकिन बाद में बदलाव की प्रक्रिया में म्यूनिसिपलिटी में 21 सदस्यों का बोर्ड बनाया गया, जिसमें पांच सरकारी और 16 गैर सरकारी सदस्य चुने गए। नगर निकायों पर शोध कर चुके तरुण शर्मा के मुताबिक ब्रिटिश राज में शुरू की गई आगरा म्यूनिसिपलिटी में चेयरमैन, ज्वाइंट मजिस्ट्रेट और सिविल सर्जन के साथ सरकार द्वारा नामित दो अधिकारी होते थे, जबकि 16 वार्डों से जनता के लोग नामित किए गए।
1893 में लगाया गया वाहन, जानवर पर टैक्स
शुरूआत में यमुना नदी के पुल से आवागमन, नाव पर टैक्स वसूलने के साथ आयात पर टैक्स आगरा म्यूनिसिपलिटी वसूलती थी, पर 1893 में पहली बार वाहनों और जानवरों पर टैक्स लगाया गया। नगर निकाय विशेषज्ञ राजीव सक्सेना ने बताया कि 150 साल पहले तब पालिका की आय का सबसे बड़ा स्रोत चुंगी (नगर में प्रवेश करने वाले माल और वाहनों पर कर) था। जीवनीमंडी में वाटरवर्क्स की स्थापना के बाद 1892 में वाटर टैक्स लगाया गया।
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