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शहर में विकास के नाम पर पर्यावरण की भेंट दी जा रही है. अधिकारी सुनते नहीं है, निर्माणदायी संस्था गाइडलाइन को फॉलो नहीं करतीं, सरकारें सुझावों पर प्रॉपर अमल नहीं करतीं. इसकी कीमत आम व्यक्ति को चुकानी होती है. हेल्द और हैप्पीनेस चाहिए तो हमें वेस्टर्न कंट्रीज की नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति की ओर जाना होगा. कुछ ऐसे ही विचार सोमवार को शहर के प्रमुख एनयावरनमेंट एक्टिविस्ट्स ने व्यक्त किए. मौका था सिकंदरा स्थित दैनिक जागरण कार्यालय में आयोजित पैनल डिस्कशन का.
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