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– फोटो : istock
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कोर्ट ने वर्ष 2007 में सैंया क्षेत्र में युवक की हत्या के मामले में आरोपी कुख्यात गुड्डन काछी को साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया। मामले में पुलिस ने केस डायरी प्रस्तुत नहीं की। हत्या में प्रयुक्त हथियार भी बरामद नहीं किया जा सका। परिस्थितिजन्य साक्ष्यों की कड़ियां जोड़ने में भी नाकाम रही। घटना का कोई प्रत्यक्षदर्शी नहीं था।
गांव अयेला निवासी रघुवीर ने मुकदमा दर्ज कराया था। उन्होंने तहरीर में लिखा कि वह 8 मई 2007 को खेरागढ़ जा रहे थे। गांव समाज इंटर कालेज के पास सड़क किनारे की झाड़ियों में एक युवक का शव पड़ा देखा। मृतक की गर्दन पर चोट का निशान था। कनपटी पर गाेली मारकर हत्या की गई थी। हत्या कर शव फेंके जाने की आशंका जाहिर की। मामले में अज्ञात आरोपी के खिलाफ हत्या और साक्ष्य नष्ट करने की धारा में मुकदमा दर्ज हुआ। बाद में मृतक की शिनाख्त मीना ने पति देवेंद्र के रूप में की।
मृतक के परिजन ने तीन पर शक जताया। मगर, पुलिस की विवेचना में तीनों को क्लीन चिट दे दी गई। विवेचना के बाद मामले में खेरागढ़ के गांव बसइया निवासी कुख्यात गुड्डन काछी, फरीदाबाद निवासी मलखान और मघटई निवासी लोटन उर्फ लोकन उर्फ लोकेश उर्फ टोंटा के खिलाफ आरोप पत्र अदालत में दाखिल किया।
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दो आरोपियों की पत्रावली अलग
मामले में अभियोजन पक्ष की तरफ से गवाही के लिए रघुवीर सिंह, मीना, डॉ. आलोक कुमार, विवेचक मनोहर सिंह, विवेचक राजेश कुमार, हेड कांस्टेबल प्रमोद कुमार और हरिकेश को अदालत में पेश किया। मामले में अभियोजन पक्ष केस डायरी अदालत में पेश नहीं कर सका। विवेचक ने यह स्पष्ट नहीं किया कि आरोपी की किस प्रकार वाद में संलिप्तता पाई गई। पुलिस हत्या में प्रयुक्त कोई हथियार भी बरामद नहीं कर सकी। घटना का कोई प्रत्यक्षदर्शी नहीं था। इस परिस्थितिजन्य साक्ष्य की कोई भी कड़ी एक दूसरे से न जुड़ पाने के आधार पर अपर जिला जज विकास वर्मा ने आरोपी को बरी करने के आदेश किए। अन्य दो आरोपियों मलखान और लोटन की पत्रावली अलग करने के कारण वाद में गुड्डन काछी का ही विचारण हुआ।
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