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इंडियन पैराडाइज फ्लाई कैचर
– फोटो : अमर उजाला
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मध्य प्रदेश के राज्य पक्षी दूधराज ने चंबल की बाह रेंज में डेरा बना रखा है। इनकी चें-चें की गूंज लोगों को रोमांचित कर रही है। नर दूधराज के शरीर से चार गुना लंबी उनकी पूंछ होती है। नर के बनाए घोंसले में मादा ने जून के द्वितीय सप्ताह में अंडे दिए हैं। 20 से 22 दिनों बाद घोंसले में चूजों का कलरव गूंजने की उम्मीद से वन विभाग उत्साहित है।
दूधराज (इंडियन पैराडाइज फ्लाईकैचर) को भले ही 1985 में मध्य प्रदेश का राज्य पक्षी घोषित किया गया। लेकिन ये हर साल सर्दियों में श्रीलंका, तुर्किस्तान, मलयेशिया से चंबल में दस्तक देते हैं। इनका वैज्ञानिक नाम टर्पसिफोनी पैराडाइसाए है। इनकी आंखें काली होती हैं। आंखों के पास गहरे नीले और काले रंग की रिंग बनी होती है। चंबल में लाल, भूरे एवं सफेद रंग के देखने को मिलते हैं। इनकी पूंछ शरीर की लंबाई से चार गुना तक लंबी होती है। नर की पूंछ लंबी और मादा की छोटी होती है। इस आकर्षक पक्षी को स्थानीय लोग सुल्ताना बुलबुल के नाम से भी जानते हैं।
बाह के रेंजर आरके सिंह राठौड़ ने बताया कि प्रजनन काल (अप्रैल से जुलाई) शुरू होते ही नर मादा ने घास के तिनकों और टहनियों से घोंसले बनाए थे। जिनमें मादा ने जून के द्वितीय सप्ताह में 3-4 अंडे दिए हैं। 20-22 दिन में अंडों से चूजे बाहर निकलते हैं। औसतन 20 से 25 ग्राम वजनी पक्षी के पंख 30 सेमी लंबे होते हैं, इनका पंख फैलाव 80 से 90 सेमी तक होता है।
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हवा में नीचे की ओर उड़कर पकड़ते हैं शिकार
दूधराज का शिकार का अंदाज भी खास है। ये पक्षी हवा में नीचे की ओर उड़कर अपना शिकार पकड़ते हैं। इनका भोजन छोटे-छोटे कीट पतंगे, मक्खियां, तितलियां आदि कीड़े होते हैं। रेंजर ने बताया कि शिकार पकड़ने का अंदाज पर्यटकों को रोमांचित करता है तो दूधराज की पूंछ उन्हें आकर्षित करती है।
चंबल में लगाते डुबकी, सफेद रंग से पड़ा दूधराज नाम
गर्मी से बचने के लिए दूधराज आजकल नदी के पानी में नहाते भी दिख रहे हैं। नहाने का इनका अंदाज देखने वालों को अचरज में डाल देता है। दूध जैसे सफेद रंग से इंडियन पैराडाइज फ्लाईकैचर का नाम दूधराज पड़ा है। चंबल के गांवों में इन पक्षियों की चेंचें की आवाज सुनकर ग्रामीण चहक उठते हैं।
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