[ad_1]
आगरा: शिल्पग्राम का मुख्य मंच. शाम ढल रही थी और गुलाबी सर्दी का असर फिजां में घुलने लगा था. इंतजार था सचेत और परंपरा का. रात 10 बजे जब मंच पर साउंड की टेङ्क्षस्टग शुरू हुई तो दर्शक दीर्घा से सीटियां और शोर गूंजने लगा. परंपरा ठाकुर और उनके पीछे सचेत टंडन मंच पर आए तो युवा अपने स्थान पर ही खड़े होकर झूमने लगे. वीडियो बनाते हुए सुर से सुर मिलाने लगे. देर रात तक दोनों की प्रस्तुति पर युवा थिरकते रहे.
[ad_2]
Source link