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गर्दन
– फोटो : अमर उजाला।
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चैटिंग के लिए लंबे समय तक मोबाइल-कंप्यूटर का इस्तेमाल लोगों को सर्वाइकल का दर्द दे रहा है। आड़ेे-तिरछे और टेढ़ी-मेढ़ी गर्दन कर कार्य करने से यह रोग बढ़ा है। इनमें आधे से ज्यादा मरीज युवा हैं। दर्द बंद न होने पर डॉक्टर को दिखाने पहुंच रहे हैं। भविष्य में इनकी संख्या और बढ़ने की आशंका चिकित्सक जता रहे हैं।
आगरा फिजियोथेरेपी प्रैक्टिसनर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ. अभिनव चतुर्वेदी ने बताया कि फिजियोथेरेपी कराने आने वालों में से 15 से 40 साल वाले 58 फीसदी मरीज हैं। पूछताछ में पाया कि आड़े-तिरछे और गर्दन टेढ़ी-मेढ़ी कर मोबाइल देखते हैं। कंप्यूटर पर सीधे नहीं बैठते और स्क्रीन और की-बोर्ड भी आंखों की सीध में नहीं बल्कि नीचे रखा है। ऐसे युवाओं को भी दिक्कत मिली, जो जिम में तेजी से वजन उठाकर व्यायाम करते हैं। इससे गर्दन में दर्द, अकड़न, खिंचाव होने की परेशानी होने लगती है।
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उपचार न कराने पर खतरा
आईएमए एएमएस के चेयरपर्सन और वरिष्ठ हड्डी रोग विशेषज्ञ डॉ. डीवी शर्मा ने बताया कि 12 से 20 साल तक के भी करीब 14 फीसदी मरीज हैं। इनमें सबसे बड़ी वजह मोबाइल-कंप्यूटर-लैपटॉप पर गलत ढंग से काम करने और अधिक समय बिताना है। दवा-फिजियोथेरेपी से ये परेशानी ठीक हो जाती है। 30 से 40 साल के मरीज उपचार और कार्यशैली नहीं सुधारने पर इनमें 3-5 फीसदी को सर्वाइकल स्पॉन्डिलाइटिस की दिक्कत होने लगती है।
ये करें :
– मोबाइल को गर्दन सीधे करके देखें। जरूरी कार्य करें।
– टीबी-मोबाइल और लैपटॉप को लेटकर देखने से बचें।
– कंप्यूटर चलाते वक्त पीठ और गर्दन सीधे करके चलाएं।
– कंप्यूटर पर 40-60 मिनट काम कर गर्दन का 2-5 मिनट तक व्यायाम करें।
– महिलाएं घर में लंबे समय तक गर्दन झुकाकर कार्य करने से बचें।
– डॉक्टरी परामर्श से कैल्शियम-विटामिन डी खाएं। फिजियोथेरेपी कराएं।
– जिम में तेजी से वजन न उठाएं, अधिक वजन उठाने से भी बचें।
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